आठ दिनों की तड़प के बाद मिली आख़िरी मुलाकात: परिजनों ने रोते-बिलखते लिया उमेश का शव, नकना में अंतिम विदाई से उठी इंसाफ की पुकार
कस्टडी में मौत ने घर तोड़ा, उम्मीदें अब न्यायालय पर टिकीं मजिस्ट्रीयल जांच जारी

सीतापुर/बलरामपुर/उमेश की मौत ने पूरे परिवार को जैसे भीतर तक तोड़ दिया है। आठ दिनों के बाद परिजनों ने आज आँसू पोंछते हुए आख़िरकार अपने बेटे, भाई के पार्थिव शरीर को सुपुर्द लिया। पूरा वातावरण उस वक्त भारी हो उठा, जब शव को गृह ग्राम नकना ले जाया गया जहाँ मातम के बीच अंतिम संस्कार हुआ।

कस्टडी में हुई मौत… और अनुत्तरित सवाल
ज्वेलरी शॉप चोरी के मामले में बलरामपुर पुलिस ने 9 लोगों को कस्टडी में लिया था। इन्हीं में से एक था उमेश- जो अब इस दुनिया में नहीं है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस की मारपीट ने उसकी जान ले ली, जबकि पुलिस बीमारी से मौत हुई बता रही है। सच क्या है – यह सवाल आज भी हवा में तैर रहा है। इसी सच्चाई को तलाशने मजिस्ट्रीयल जांच जारी है।

भावुक पल – जब परिजन पहली बार शव के सामने खड़े हुए:- तहसीलदार रूपाली मेश्राम और डॉक्टरों की टीम की मौजूदगी में जब परिजनों ने शव का निरीक्षण किया, तो चीखें उठ गईं। माँ, पत्नी और भाई: सभी का मन जैसे टूट गया।
निरीक्षण के बाद ही परिजनों ने भारी मन से शव को सुपुर्द लिया और कहा –“अब बस न्याय चाहिए… हमारा बेटा वापस नहीं आएगा।”

न्याय की उम्मीद—अब अदालत से
परिजनों ने साफ कहा कि अब उन्हें इंसाफ की उम्मीद सिर्फ न्यायालय से है। मजिस्ट्रीयल जांच की रिपोर्ट का हर कोई इंतजार कर रहा है।

शव सुपुर्दनामा और अंतिम संस्कार तक सीतापुर पुलिस ने निभाई भूमिका:- शव सुपुर्दनामा और अंतिम संस्कार प्रक्रिया में एसडीओपी राजेन्द्र मंडावी और थाना प्रभारी निरीक्षक सीआर चंद्रा मौजूद रहे और पूरे समय निगरानी करते रहे।



