“रानी अहिल्याबाई होळकर” स्मारक विधानसभा में होगा स्थापित, हमें भी और आने वाले पीढ़ियों को भी…. MLA
अहिल्याबाई होळकर भेड़ बकरी पालन योजना के तहत उत्तराखण्ड के बेरोजगार, बीपीएल राशनकार्ड धारकों, महिलाओं व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बकरी पालन यूनिट के निर्माण के लिये भारी अनुदान राशि प्रदान की जाती है...

@the chalta/31 मई/सुशासन तिहार में आयोजित पेटला समाधान शिविर में सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो ने अहिल्याबाई होळकर स्मारक स्थापित करने की घोषणा करते हुए उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा:-
स्वतन्त्र भारत में अहिल्याबाई होळकर का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। इनके बारे में अलग अलग राज्यों की पाठ्य पुस्तकों में अध्याय मौजूद हैं। अहिल्याबाई होळकर रानी,महारानी और राजमाता के रूप में जानी जाती हैं।
अहिल्याबाई होळकर ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए अन्न , प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन हेतु की। और, आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याग करके सदा न्याय करने का प्रयत्न करती रहीं-मरते दम तक। ये उसी परम्परा में थीं जिसमें उनके समकालीन पूना के न्यायाधीश रामशास्त्री थे और उनके पीछे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हुई।
अपने जीवनकाल में ही इन्हें जनता ‘देवी’ समझने और कहने लगी थी। इतना बड़ा व्यक्तित्व जनता ने अपनी आँखों देखा ही कहाँ था। जब चारों ओर गड़बड़ मची हुई थी। शासन और व्यवस्था के नाम पर घोर अत्याचार हो रहे थे। प्रजाजन-साधारण गृहस्थ, किसान मजदूर-अत्यन्त हीन अवस्था में सिसक रहे थे। उनका एकमात्र सहारा-धर्म-अन्धविश्वासों, भय त्रासों और रूढि़यों की जकड़ में कसा जा रहा था। न्याय में न शक्ति रही थी, न विश्वास। ऐसे काल की उन विकट परिस्थितियों में अहिल्याबाई ने जो कुछ किया-और बहुत किया। वह चिरस्मरणीय है।उनके मुख्य योगदानों में से एक 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ मंदिर है जिसका जीरणद्धार महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया साथ ही बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर भी उन्हें की देन है।इस प्रकार उन्होंने देश की प्रगति में विशेष योगदान दिया।साथ ही महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाया और महिला सशक्तिकरण के लिए जीवन पर्यंत प्रयत्न किया प्रकार उन्होंने महिलाओ को आगे बढ़ाने के लिए विषेश योगदान दिये।
जिन्होंनें भारत के अलग अलग राज्यों में मानवता की भलाई के लिये अनेक कार्य किये थे। इसलिये भारत सरकार तथा विभिन्न राज्यों की सरकारों ने उनकी प्रतिमाएँ बनवायी हैं और उनके नाम से कई कल्याणकारी योजनाओं भी चलाया जा रहा है। हमें भी और आने वाले पीढ़ियों को रानी अहिल्याबाई होलकर से प्रेरणा लेने की जरूरत है जो आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व इन कार्यों को करने में अपना योगदान दिया। आज भी रानी अहिल्याबाई होलकर जैसे बेटियों की जरूरत है।
उनके नाम से संचालित एक योजना मेरे ज़हन में आ रहा है ऐसी योजना उत्तराखण्ड सरकार की ओर से चलाई जा रही है। जो अहिल्याबाई होळकर को पूर्णं सम्मान देती है। इस योजना का नाम ‘अहिल्याबाई होल्कर भेड़ बकरी विकास योजना है। अहिल्याबाई होळकर भेड़ बकरी पालन योजना के तहत उत्तराखणवड के बेरोजगार, बीपीएल राशनकार्ड धारकों, महिलाओं व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बकरी पालन यूनिट के निर्माण के लिये भारी अनुदान राशि प्रदान की जाती है। लगभग 1,00,000 रूपये की इस युनिट के निर्मांण के लिये सरकार की ओर से 91,770 रूपये सरकारी सहायता रूप में अहिल्याबाई होळकर के लाभार्थी को प्राप्त होते हैं।