जयपुर में सम्पन्न हुआ शैक्षिक महासंघ का 9वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन, शिक्षा उन्नयन और शिक्षकों की समस्याओं पर हुआ मंथन
छत्तीसगढ़ सहित देशभर के 3500 शिक्षकों ने लिया भाग, तीन शिक्षकों को मिला 'शिक्षा भूषण' सम्मान, शिक्षा, संस्कृति और सुरक्षा पर हुए 10 तकनीकी सत्र

रायपुर/जयपुर 8 अक्टूबर, 2025 /अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का 9वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन सोमवार को जयपुर में संपन्न हो गया। तीन दिवसीय इस अधिवेशन में देश के सभी 28 राज्यों से 3500 से अधिक शिक्षक प्रतिनिधि शामिल हुए। छत्तीसगढ़ प्रांत से भी शैक्षिक महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी अधिवेशन में मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ प्रदेश संयोजक प्रो. आर. डी. शर्मा ने बताया कि अधिवेशन में शैक्षिक उन्नयन, शिक्षकों की समस्याएं, शिक्षा, समाज, संस्कृति और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित 10 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।
कार्यक्रम का उद्घाटन राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “शिक्षक प्रारंभ से ही हमारे राष्ट्र में राष्ट्र निर्माता की भूमिका निभाते रहे हैं।” इस अवसर पर अधिवेशन की स्मारिका, “हमारा विद्यालय, हमारा तीर्थ” नामक पुस्तक और महासंघ का वार्षिक कैलेंडर भी विमोचित किया गया।
अधिवेशन में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बेरवा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान तीन शिक्षकों को ‘शिक्षा भूषण सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उदयपुर के प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. सुषमा यादव, और केरल के बीजे श्री कुमार को उनके शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए जूना पीठ के आचार्य अवधेशानंद गिरी ने कहा, “गुरु ही बालक का सृजन, पालन और अज्ञान का संहार करता है।”
आरएसएस के पूर्व सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने भारतीय शिक्षा की पारंपरिक गुरु-शिष्य परंपरा पर बल देते हुए कहा कि यही ज्ञान की वास्तविक संवाहक है।
राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अपने प्रखर भाषण में कहा कि अब समय आ गया है कि हम मैकाले और मार्क्स के प्रभाव से बाहर निकलकर मानवीय शिक्षा प्रणाली और जीवन पद्धति को अपनाएँ।
कार्यक्रम में एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. डी.पी. सकलानी, शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता और महामंत्री गीता भट्ट ने भी विचार व्यक्त किए।
छत्तीसगढ़ से विशेष भागीदारी
छत्तीसगढ़ प्रांत से अधिवेशन में प्रांत संयोजक डॉ. आर. डी. शर्मा, अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. श्यामलाल निराला, महामंत्री डॉ. फूलदास महंत, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के अध्यक्ष डॉ. एस. के. श्रीवास्तव और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी शामिल हुए।
अधिवेशन में शिक्षकों की समस्याओं के समाधान हेतु कई प्रस्ताव पारित किए गए।
प्रांत संयोजक प्रो. शर्मा ने जानकारी दी कि शीघ्र ही राज्य के शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री से मिलकर प्रदेश के शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराते हुए उनके निराकरण का अनुरोध किया जाएगा।