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राष्ट्रभक्ति की गूंज के साथ सीतापुर की सड़कों पर गूंजा संघ का पथ संचलन

पुष्पवर्षा, घोष और अनुशासित पंक्तियों ने रचा अनुकरणीय दृश्य; संघ का संदेश— "संघ है सेवा, संस्कार और समर्पण की प्रतीक"

The chalta/सीतापुर:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का भव्य पथ संचलन कार्यक्रम आज सीतापुर नगर में पूरे उत्साह और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। संघ की परंपरा और अनुशासन के प्रतीक इस कार्यक्रम में सैकड़ों स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जिन्होंने निर्धारित गणवेश में लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम से नगर की प्रमुख सड़कों से गुजरते हुए अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत संभूनाथ चक्रवर्ती (पर्यावरण संरक्षण, धार्मिक संस्थान प्रांत प्रमुख ) तथा मंडल कार्यवाहक अजीत नामदेव एवं गणवेश धारी 120 स्वयं सेवकों की उपस्थिति में ध्वज वंदन और संघ प्रार्थना के साथ हुई। इसके पश्चात स्वयंसेवकों की संगठित टोलियाँ घोष वादन और बैंड के साथ पथ संचलन हेतु निकलीं। नागरिकों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया, जिससे सम्पूर्ण वातावरण देशभक्ति से ओत-प्रोत हो गया।

वरिष्ठ पदाधिकारियों का उद्बोधन

इस अवसर पर उपस्थित संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी संभूनाथ चक्रवर्ती ने कहा:

“पथ संचलन केवल अनुशासन का प्रदर्शन नहीं, अपितु यह संगठन, सेवा और राष्ट्र निर्माण के प्रति अटूट निष्ठा का प्रतीक है। संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक अपने आचरण और कार्य से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु प्रतिबद्ध है।”

नगर के मार्गों पर तैनात पुलिस प्रशासन तथा स्थानीय नागरिकों के सहयोग से यह कार्यक्रम पूर्णतः शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा। कार्यक्रम का समापन देशभक्ति गीतों और संघ प्रार्थना के साथ हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: एक संक्षिप्त इतिहास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य एक संगठित, सशक्त और संस्कारित समाज का निर्माण करना रहा है। संघ ने प्रारंभ से ही सामाजिक सेवा, आपदा राहत, शिक्षा, और सांस्कृतिक जागरण जैसे क्षेत्रों में कार्य किया है।

आज, RSS विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है, जिसकी शाखाएं देश के कोने-कोने में चल रही हैं और जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रहित के लिए सक्रिय है।

संघ के शताब्दी वर्ष पर RSS का संदेश

RSS के स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने एक विशेष संदेश में कहा:

“संघ केवल एक संगठन नहीं, यह समाज का दर्पण है। हमने बीते सौ वर्षों में जो किया, वह समाज की सामूहिक चेतना का परिणाम है। अगले सौ वर्षों की दिशा तय करने का समय अब हमारे हाथों में है।”

उन्होंने यह भी कहा कि संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण है। समाज में व्याप्त भेदभाव, विघटन और भ्रम को समाप्त कर समरसता और एकता स्थापित करना ही संघ की प्राथमिकता है।

संघ के आयोजन: समाज निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समय-समय पर ऐसे आयोजनों के माध्यम से समाज को एकजुट करने, अनुशासन का भाव जगाने और सेवा कार्यों की प्रेरणा देने का कार्य करता है। पथ संचलन, गणवेश, घोष, और शाखा की नियमित गतिविधियाँ संघ के मूल उद्देश्यों को समाज के समक्ष प्रकट करने का माध्यम बनती हैं।

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