chhattisgarhसरगुजा

रियासत काल से जुड़ी परंपरा:लखनपुर में दशहरा एक दिन बाद मनाने की परंपरा कायम

रियासत काल से जुड़ी परंपरा आज भी निभाई जा रही है, श्रद्धालुओं में भारी उत्साह

लखनपुर, 3 अक्टूबर 2025/लखनपुर में दशहरा उत्सव हर साल अंबिकापुर के एक दिन बाद ही मनाया जाता है — यह परंपरा रियासत काल से चली आ रही है और आज भी पूरे सम्मान और उत्साह के साथ निभाई जा रही है। इस वर्ष भी बारिश के बावजूद रावण दहन के भव्य आयोजन में हजारों की भीड़ उमड़ी।

इस परंपरा के पीछे ऐतिहासिक मान्यता यह है कि लखनपुर, जो कभी रियासत काल में अंबिकापुर के अधीन था, वहां के शासकों और नागरिकों ने यह नियम बनाया था कि जब तक राजधानी (अंबिकापुर) में दशहरा नहीं मनाया जाएगा, तब तक अधीनस्थ क्षेत्रों में उत्सव नहीं होगा। यही कारण है कि आज भी लखनपुर में दशहरा अंबिकापुर के एक दिन बाद मनाया जाता है।

रावण दहन बना मुख्य आकर्षण

मुख्य अतिथि लुण्ड्रा विधायक प्रबोध मिंज ने कहा कि “यह केवल पर्व नहीं, परंपरा और संस्कृति से जुड़ा गौरव है। हमें भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए।” रंग-बिरंगी आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समूचे आयोजन को जीवंत बना दिया।

शोभायात्रा और श्रद्धालुओं की भीड़

नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो नगर भ्रमण करते हुए रावण दहन स्थल तक पहुंची। नवचेतना दुर्गा पूजा समिति और भजन मंडली की सक्रिय सहभागिता ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

समिति की भूमिका सराहनीय

कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल की अनुपस्थिति में भी रावण दहन समिति के पदाधिकारियों ने आयोजन को सफल बनाया। स्थानीय नागरिकों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि परंपराएं जब जनभागीदारी से जुड़ती हैं, तो वे और भी मजबूत होती हैं।

लखनपुर का दशहरा सिर्फ त्योहार नहीं, ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, जो आज भी अपनी परंपरा को संजोए हुए है। एक दिन बाद उत्सव मनाने की यह परंपरा लोगों में उत्साह और आस्था के साथ जीवंत बनी हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button