एनएचएम हड़ताल खत्म: 33 दिन बाद सरकार ने मानीं 5 मांगें, बाकी पर अब भी सस्पेंस!
स्वास्थ्य सेवाएं फिर पटरी पर, पर कर्मचारियों का सवाल — "क्या वादे हकीकत बनेंगे या फिर टालमटोल?"

The chalta/सरगुजा/रायगढ़, छत्तीसगढ़ 20 सितंबर 2025 : छत्तीसगढ़ में 33 दिनों से चल रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारियों की हड़ताल शुक्रवार देर रात समाप्त हो गई। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से हुई बैठक के बाद सरकार ने कर्मचारियों की 10 में से 5 मांगों पर सहमति जता दी है। हालांकि, कर्मचारियों का कहना है कि वे फिलहाल “सरकारी आश्वासन” के आधार पर ड्यूटी पर लौटे हैं, लेकिन अब बारी सरकार की है कि वह अपने वादों को ज़मीन पर उतारे।
शनिवार से जिले के एनएचएम कर्मचारी दोबारा सेवाओं में शामिल हो गए हैं। इससे लंबे समय से ठप पड़ी स्वास्थ्य सेवाओं के सामान्य होने की उम्मीद है।
हड़ताल का व्यापक असर — 16,000 से अधिक कर्मचारी मैदान में
एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश भर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप-स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल मेडिकल यूनिट, और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
सरकार ने किन मांगों पर दी सहमति?
1. बर्खास्तगी से पहले अपील का मौका मिलेगा
अब सीआर मूल्यांकन में बर्खास्तगी से पहले कर्मचारी अपनी बात रख सकेंगे।
2. सवैतनिक मेडिकल अवकाश की सुविधा
अब जिला स्तर पर स्वीकृति के साथ मेडिकल लीव लेना संभव होगा।
3. 5 लाख की कैशलेस चिकित्सा सुविधा (प्राइवेट व आयुष्मान भारत)
हालांकि मांग 10 लाख की थी, सरकार ने इसे आधे में सीमित किया।
4. ग्रेड पे निर्धारण तीन महीने में
इस पर प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई है, लेकिन पूरा कब होगा, स्पष्ट नहीं।
5. 27% वेतन वृद्धि में 5% लागू
जुलाई 2023 से लागू, लेकिन बाकी 22% पर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं।
बाकी मांगों पर सिर्फ वादे या शुरूआती प्रक्रिया
स्थानांतरण नीति: सुझाव मांगे गए हैं, लेकिन नीति कब लागू होगी, तय नहीं।
अनुकंपा नियुक्ति: प्रक्रिया शुरू, मगर देरी पर सवाल।
स्थायीकरण, पब्लिक हेल्थ कैडर, भर्ती में 50% आरक्षण: केंद्र से वार्ता का भरोसा दिलाया गया।
बर्खास्त किए गये पदाधिकारियों की बहाली: जल्द फैसला लेने की बात, पर तारीख तय नहीं।
कर्मचारियों का सवाल — “अब किसका इम्तिहान?”
एनएचएम कर्मचारियों ने सरकार को चेताया है कि अगर वादों को समय पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया, तो वे फिर से आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं।
उनका कहना है:
“हमने 20 साल के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। अब हमने भरोसा दिखाया है, बारी सरकार की है। वादा निभाइए, वरना अगली बार आंदोलन और बड़ा होगा।”
शनिवार से स्वास्थ्य सेवाएं बहाल होने की उम्मीद है, लेकिन असली परीक्षा अब सरकार की है। क्या यह समाधान स्थायी होगा या सिर्फ एक अस्थायी विराम? क्या हड़ताल फिर से लौटेगी? ्समय ही बताएगा कि ये समझौता ‘स्थायी समाधान’ बनेगा या ‘फिर एक अधूरी कहानी’।