चैनपुर के खेखरापारा में पुल नहीं होने के कारण वर्षों से परेशान ग्रामीण ने कहा–बड़ी दुःख लग रही है… पढ़ें पुरी ख़बर
प्रसव हुआ तो खाट में ढोकर के निकालना पड़ता है. ग्रामवासी लंबे समय से पुलिया निर्माण की मांग कर रहे है...

The chalta/टीम/सरगुजा जिले के मैनपाट विकास खण्ड के ग्राम पंचायत चैनपुर के खेखरापारा में पुल नहीं होने के चलते इन दिनों एक बड़ी चुनौतीयो का सामना स्कूली बच्चों सहित आसपास के लोग कर रहे हैं, बच्चे और बुजुर्ग परेशान हैं। चुकीं नाला पार कर के दूसरी तरफ पहुंचा जा सकता है ऐसे में देखिए कैसे जान जोखिम में डालकर स्कूली बच्चे नाला पार करने को मजबूर हैं।
पुल की समस्या बनी जानलेवा:- किसका जिम्मेदार कर रहे इंतजार…हादसा!
दरअसल छत्तीसगढ़ के सरगुजा के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां आजादी के 78 साल बाद भी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है हालिया तस्वीर सरगुजा के चैनपुर का है जहां सड़को पर कीचड़ और रस्ते बद से बदहतर हो गए हैं, और गांव के लोग किसी तरह इस नाला को पार करने के बाद दूसरे जगह पहुंचते हैं, अगर कोई बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस तक यहां नहीं पहुंच सकता है, ऐसी स्थिति इसलिए बनी हुई हैं क्योंकि आसपास के कई गांव जाने के लिए चैनपुर के खेखरापारा में दूसरा रास्ता नहीं है । इस रस्ते में पुल नहीं बनाया गया है यही वजह है कि स्कूली बच्चों का ड्रेस खराब हो रहा हैं , तो कई बार नाले में पानी ज्यादा रहता हैं तो स्कूल नहीं जा पाते लगातार समस्या बनी हुई हैं। और नाले में तेज बहाव कि स्थिति में खतरनाक हो सकता है।
खड़गांव के रहने वाले मीखिलराम भगत ने:-
बताया यहां का हालात देखकर बड़ी ताजुब हो गया हु। खेखरापारा चैनपुर से जुड़ा हुआ है, ये गांव बस्ती चारों तरफ से नाला कि खाई में घिरा हुआ बस्ती है, बच्चों को पढ़ने आने में परेशानी हो रही हैं , नाला पार करने में छोटे छोटे स्कूली बच्चों को कठिनाई हो रही है इसलिए बड़ी दुख लग रहा है। गांव में किसी तरह का बीमारी किसी को हो गया चाहे प्रसव हुआ तो खाट में ढोकर के निकालना पड़ता है। ग्रामवासी लंबे समय से पुलिया निर्माण की मांग कर रहे है। लेकिन अब तक नहीं बन सका तो पुल, जान हथेली पर रख कर इस नाले को पार करना मजबूरी बन गया है। ऐसे स्थिति में कीचड़ से लटपट होना पड़ता है और परेशानी भी होती हैं। आसपास के कई गांव जाने का एक मुख्य मार्ग है जहां से पेंट पीडिया खड़गांव सहीत अन्य इलाकों में जाने के लिए दिक्कत हो रहा है।
वहीं स्कूली बच्चों का कहना है कि घर से जब स्कूल के लिए निकलते है तो ड्रेस साफ सुथरे रहते है लेकिन जब नाला पार करते हैं तो ड्रेस खराब हो जाता है जूते को घर से हाथ में पकड़कर जाते है और नाला पार करने के बाद 10 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ता है और यही मुख्य मार्ग है और चारों तरफ नालों से घिरा बस्ती खेखरा पारा है जहां पुल का निर्माण नहीं हो सका है और बरसात का समय चल रहा है ऐसे में जब बारिश ज्यादा होती हैं नाला में पानी ज्यादा होता हैं तब की स्थिति में स्कूल नहीं जा पाते कभी लेट हो जाता है। कुल मिलाकर के पढ़ाई प्रभावित होता हैं। सड़को पर कीचड़ फिर भी स्कूली बच्चे नाला पार करने को मजबूर।
सड़क व पुलिया बनने पर समस्या का होगा ! समाधान…