जिला पंचायत सदस्य ने आदिवासी ग्राम पंचायतों में ग्राम “न्यायलय खोलने” कलेक्टर को लिखा पत्र और मांगा अधिकार
प्रत्येक व्यक्ति को न्याय मिले, न्याय पाने से कोई भी व्यक्ति वंचित न हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायलय नियम 2001 को अमल में लाया जाए: निर्मल कुजूर

अंबिकापुर/मैनपाट/क्षेत्र क्रमांक 13 के जिला पंचायत सदस्य इंजिनियर निर्मल कुजूर ने कलेक्टर सरगुजा से ग्राम “न्यायलय खोलने” के लिए पत्र लिखकर मांग की है।
जिला पंचायत सदस्य इंजिनियर निर्माल कुजूर का कहना हैं कि कई राजस्व विभाग से संबंधित और अन्य विभाग से संबंधित छोटे-मोटे समस्याओं को लेकर लोग सरकारी कार्यालयों का चक़्कर लम्बे समय से लगाते रहते हैं। यदि आदिवासी ग्राम पंचायतों में ग्राम न्यायलय खुलेगी तो समस्याओं का त्वरित निराकरण होगा तो उन्हें सरकारी कार्यलयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। वैसे भी ग्राम न्यायलय अधिनियम 1996 में लागू हुआ, जिसे अमल में लाने हेतु छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायलय नियम 2001 बनाया गया, जो कि छत्तीसगढ़ में लागू हैं। परन्तु अमल में नहीं लाया जा रहा हैं।कई ग्रामीण जनता की न्याय के इंतज़ार में ही मृत्यु हो जाती है, लेकिन उन्हें न्याय नही मील पाता है। जबकि न्याय पाना देश के प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। वर्तमान स्थिति में ग्रामीण को न्याय प्राप्त करने हेतु भारी आर्थिक, शारीरिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आगे उनका कहना है माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी इस विषय पर कई बार अमल में लाने के लिए कहा गया है। प्रत्येक व्यक्ति को न्याय मिले, न्याय पाने से कोई भी व्यक्ति वंचित न हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायलय नियम 2001 को अमल में लाया जाए। जिला पंचायत सदस्य इंजिनियर निर्मल कुजूर ने अपने लेटर पैड में ज्ञापन देकर कलेक्टर सरगुजा से मांग की है। देखते हैं इस मांग से जनता में कितनी जागरूकता आती है और हमारे मांग को कलेक्टर सरगुजा कितना महत्व देते हैं।