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ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास हेतु जैविक खेती पर दिया जा रहा है प्रशिक्षण

पी.एम.के.वी.वाई के अंर्तगत जैविक खेती लघु इकाई पर 30 दिनों का 30 युवा किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय अंतर्गत संचलित कृषि विज्ञान केंद्र,मैनपाट, प्रक्षेत्र &चलता में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पी.एम.के.वी.वाई) के अंर्तगत जैविक खेती (लघु इकाई) पर 30 दिनों का प्रशिक्षण का शुभारंभ 1 जून 2024 को केन्द्र प्रमुख डॉ संदीप शर्मा के मार्गदर्शन में हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 ग्रामीण युवाओं का पंजियन डॉ संदीप शर्मा की उपस्थिती में किया गया। डॉ शर्मा प्रशिक्षणथी को सम्बोधित करते हुए बताया कि जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र] हरी खाद] कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। आगे उन्होंने कहा कि जैविक खेती आधुनिक समय की जरूरत है। मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के साथ-साथ मनुष्य स्वास्थ्य और प्राकृतिक संरक्षण के लिए अति आवशयक है।

प्रशिक्षण प्रभारी डॉ पुष्पेंद्र सिंह (वैज्ञानिक – उद्यानिकी) ने  ग्रामीण युवाओं को आज जैविक खेती क्यों आवश्यकता है इस विषय पर बताया कि खेती में किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और रासायनिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण भूमि, जल, वायु और हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। जिसके कारण जैविक कृषि हमारी खेती के लिए आवश्यक है। आजकल कई प्रकार के नए-नए तरीकों को आजमाया जा रहा है. जैविक खेती का प्रचलन भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. किसान अब पारंपरिक खेती की जगह आधुनिक खेती, ऑर्गेनिक फार्मिंग करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. आज के समय में खेती से लोग लाखों करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. पहले लोग खेती छोड़कर बड़े शहरों में नौकरी करने जाते थे लेकिन आजकल बड़ी-बड़ी नौकरियां छोड़कर जैविक खेती कर रहे हैं. डॉ सिंह ने आगे बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जैविक खेती के सभी पहलुवो के बारे में बताया जायेगा तथॎ युवाओं को थ्योरी और प्रयोगिक के माध्यम से जानकारी दी जावेगी। कार्यक्रम में केंद्र के अन्य वैज्ञानिक श्री प्रदीप लकडा, डॉ सी पी राहंगडाले ,डॉ सूरज चंद्र पंकज,डॉ शमशेर आलम एवं संतोष कुमार साहू भी उपस्थित रहे।

 

 

 

 

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