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जब परिहास ने छेड़ी जनभावना:टोप्पो समर्थकों ने दी तीखी प्रतिक्रिया

"आत्मरक्षा सिखाने पर परिहास, क्या यही जनप्रतिनिधि का धर्म है?

The chalta/सीतापुर/पूर्व विधायक भगत जी द्वारा वर्तमान विधायक रामकुमार टोप्पो के प्रति दिए गए विवादित बयान को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में तीखी नाराज़गी फैल गई है। कार्यकर्ताओं ने इसे “गैर-संवैधानिक, अमर्यादित और लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला” बताया है।

भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता एवं Ph.D. शोधार्थी (इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर) विवेकानंद सोनवानी ने कहा कि “पूर्व विधायक भगत जी द्वारा माननीय टोप्पो जी के प्रति की गई नस्लभेदी टिप्पणी लोकतंत्र का परिहास है।”
उन्होंने कहा कि “बालिकाओं और छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देने पर परिहास करना, महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा के प्रयासों का अपमान है। विधायक टोप्पो जी हमेशा जनहित और समाज के उत्थान के लिए तत्पर रहते हैं, उनकी निष्ठा पर सवाल उठाना असंवेदनशीलता है।”

सोनवानी ने आगे कहा कि “वर्षा ऋतु में आपदा और बाढ़ की स्थिति में स्वयं SDRF टीम के साथ राहत एवं खोजबीन कार्य में शामिल होना विधायक जी की जनता के प्रति सेवा भावना का प्रतीक है। पूर्व सैनिक रहे टोप्पो जी के साहस और नेतृत्व का मज़ाक उड़ाना न केवल सेना की कुशलता का अपमान है बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को भी ठेस पहुँचाना है।”

इस बीच भाजपा किसान मोर्चा जिला कार्यकारिणी सदस्य राजकुमार गुप्ता ने पूर्व मंत्री भगत जी पर तीखा तंज कसते हुए कहा —

“जैसे एक बंदर ने रावण की सोने की लंका जला दी थी, वैसे ही अब भगत जी को समझ में आया होगा। हार का दंश झेल रहे मंत्री जी की रातों की नींद उड़ गई है। अगर गलती से नींद आ भी जाए तो सपनों में रामकुमार टोप्पो उछल-कूद करते दिखते हैं। विधायक जी जहां पहली बार जीत का आनंद ले रहे हैं, वहीं मंत्री जी पहली बार हार का स्वाद चख रहे हैं, इसलिए उनकी बौखलाहट स्वाभाविक है। फिलहाल जनता विधायक जी के विकास कार्यों का आनंद उठा रही है।”

राजकुमार गुप्ता ने आगे कहा सीतापुर की जनता ने सदैव सच्चाई, सेवा और समर्पण को सम्मान दिया है। जनता की आस्था ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। विधायक रामकुमार टोप्पो जी उसी आस्था और विश्वास के प्रतीक हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी जनसेवा को सर्वोपरि रखा है। जनता को यह विश्वास बनाए रखना चाहिए कि सच्ची नीयत और सेवा भावना ही विकास की असली पहचान है

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