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बड़ादमाली स्कूल की प्राचार्य पर गंभीर आरोप: विधायक टोप्पो ने की कलेक्टर से सख्त कार्रवाई की मांग

धार्मिक प्रचार, राजनीतिक टिप्पणी, जातिगत भेदभाव और वित्तीय अनियमितताओं जैसे कई आरोप; शिक्षा, समाज और राजनीति तीनों के लिए बड़ी चुनौती

The chalta/सीतापुर/अंबिकापुर, 24 सितंबर:
सरगुजा जिले के अंबिकापुर विकासखंड स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़ादमाली की प्राचार्य मंजू कुजूर एक बार फिर विवादों में हैं। सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो ने उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए सरगुजा कलेक्टर को पत्र सौंपकर त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

विधायक टोप्पो द्वारा दिए गए शिकायत पत्र में बताया गया है कि प्राचार्य धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं और विद्यालय की प्रार्थना सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और क्षेत्रीय विधायक पर राजनीतिक व पार्टीगत टिप्पणियां करती हैं। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों द्वारा लगातार शिकायतें मिलने के बाद यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

अनियमितताएं और दुर्व्यवहार के आरोप

शिकायत में यह भी उल्लेख है कि प्राचार्य नियमित रूप से विद्यालय नहीं आतीं, खासकर शनिवार को अक्सर अनुपस्थित रहती हैं। आरोप है कि वे शासन के निर्देशों का पालन नहीं करतीं और कक्षाएं लेने से भी परहेज करती हैं। विद्यार्थियों के साथ मारपीट, गाली-गलौज, जातिगत टिप्पणियां और टीसी काटने की धमकी जैसे गंभीर आरोप भी सामने आए हैं।

इसके साथ ही, विद्यालय में मिलने वाली अनुदान राशि और अन्य मदों में वित्तीय अनियमितता की आशंका भी जताई गई है।

शिक्षा व्यवस्था पर संकट

यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह केवल एक शिक्षक की विफलता नहीं बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। संस्था प्रमुख की भूमिका में रहते हुए अनुशासनहीनता, शिक्षण में लापरवाही और विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है।

राजनीतिक और सामाजिक पहलू

प्रार्थना सभा में प्रधानमंत्री व विधायक पर की गई पार्टीगत टिप्पणियों ने इस मामले को केवल प्रशासनिक ही नहीं, राजनीतिक रंग भी दे दिया है। वहीं विद्यार्थियों के बीच जातिगत भेदभाव की शिकायतें समाज की एकजुटता और समरसता पर भी आघात करती हैं।

प्रशासन की अग्निपरीक्षा

अब यह मामला जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। शिक्षा, राजनीति और सामाजिक ताने-बाने से जुड़े इस प्रकरण में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच ही विश्वास बहाल कर सकती है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है। यह मामला केवल एक स्कूल या एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता, सामाजिक समरसता और राजनीतिक मर्यादाओं से जुड़ा गंभीर विषय है। प्रशासन से उम्मीद है कि वह शीघ्र ही सच्चाई सामने लाकर न्याय सुनिश्चित करेगा।

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