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जशपुर टू ग्रीस:नंगे पांव एथलेटिक्स खेलों से शुरुआत करने वाले अनिमेष ने 100 मीटर दौड़ में एथलेटिक्स में रचा नया इतिहास…

अनिमेष कुजूर की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जशपुर जैसे आदिवासी और वन बहुल जिले में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरुरत है तो बस प्रतिभा को निखारने और सही मौका देने की...

The chalta/ 02 जून 2003 को छत्तीसगढ़ में जन्मे छोटे से गांव घुइटांगर निवासी अनिमेष कुजूर ने बड़ा काम किया है। एथलेटिक्स प्लेयर 22 वर्षीय अनिमेष कुजूर आज युवाओं और खिलाड़ियों के प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। घुइटांगर की पगडंडियों पर कभी नंगे पांव दौड़ने वाला लड़का आज देश की सबसे तेज़ दौड़ का रिकॉर्ड बना कर किर्तिमान हासिल किया है।

घुइटांगर जशपुर टू ग्रीस – 5 जुलाई 2025 को ग्रीस के वारी शहर में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में 100 मीटर की दौड़ को 10.18 सेकंड में पूरा कर अनिमेष ने इतिहास रच दिया। स्प्रिंट मीट 100 मीटर दौड़ में अनिमेष जरुर तीसरे स्थान पर रहे। लेकिन एक नया रिकार्ड उन्होने बना दिया. इस रेस में पहला स्थान दक्षिण अफ्रीका, दूसरा ओमान और थर्ड पॉजिशन भारतीय एथलेटिक्स अनिमेष कुजूर के नाम रहा। तीसरा स्थान हासिल करने वाले अनिमेष ने एक नया कीर्तिमान रच दिया।

अनिमेष के पिता अमृत कुजूर ने सूत्रों को बताया कि जब उन्हें फोन पर बताया गया कि उन्होंने 10.18 सेकंड में दौड़ पूरी की है, तब उन्हें समझ नहीं आया की इसका क्या मतलब है। बाद में जब अखबारों और टीवी के माध्यम से पता चला की भारत की यह सबसे तेज़ दौड़ है तो यह उनके लिए एक न भूलने वाला पल था।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय:हम सभी के लिए यह अत्यंत गर्व और खुशी का क्षण है कि छत्तीसगढ़ के अनिमेष कुजूर ने ग्रीस में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में 100 मीटर दौड़ को मात्र 10.18 सेकेंड में पूरा कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया है. इससे पहले, अनिमेष ने दक्षिण कोरिया में हुए एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर दौड़ को 20.32 सेकेंड में पूरा कर एक और राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया था. बधाई अनिमेष, आपकी यह ऐतिहासिक उपलब्धि हर युवा को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी।

सैनिक स्कूल से पढ़ाई करने वाले धावक अनिमेष कुजूर को यूं ही पहचान नहीं मिली, इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प ने बड़ा रोल निभाया। संसाधनों की कमी कभी भी उनके संकल्प के रास्ते में बाधा बनकर खड़ी नहीं हुई। जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखण्ड स्थित घुइटांगर जैसे छोटे से गांव में जन्मे अनिमेष, कोई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से नहीं निकले, अनिमेष कुजूर ने अपने शुरुआती कदम खेतों के मेड़ों और कच्चे रास्तों पर दौड़ते हुए उठाए। माता-पिता की सरकारी नौकरी के कारण अनिमेष का बचपन छत्तीसगढ़ के कई जिलों में बीता।

प्रारंभिक शिक्षा महासमुंद जिले के वेडनर मिशन स्कूल में हुई. कक्षा पांचवीं के बाद अनिमेष का परिवार कांकेर आ गया. यहां से आगे की पढ़ाई सेंट माइकल स्कूल में हुई। अनिमेष के जीवन में असली मोड़ तब आया जब छठवीं कक्षा में उनका चयन सैनिक स्कूल अंबिकापुर के लिए हुआ। यहीं से उनके जीवन में अनुशासन और कड़ी मेहनत की जो नींव पड़ी. कड़ी मेहनत और अनुशासित जीवन ने उनको नई दिशा दी।

अरुण साव, उप मुख्यमंत्री:जशपुर, छत्तीसगढ़ के अनिमेष कुजूर ने ग्रीस के ‘ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट एवं रिलेज मीटिंग’ में 100 मीटर दौड़ मात्र 10.18 सेकंड में पूरा कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड रचकर इतिहास बनाया है। उनकी इस शानदार उपलब्धि ने पूरे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है. अनिमेष ने इससे पहले 200 मीटर दौड़ में भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया है. आप प्रत्येक दौड़ में सफलता के नए आयाम छूते हुए समूचे भारत का मान वैश्विक मंच पर बढ़ाते रहें. इस शानदार उपलब्धि के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

विजय शर्मा, डिप्टी सीएम छत्तीसगढ़: जशपुर के अनिमेष कुजूर ने ग्रीस में आयोजित ‘ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट एंड रिलेज मीट’ में 100 मीटर दौड़ केवल 10.18 सेकंड में पूरी कर नया राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया है. उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने पूरे छत्तीसगढ़ को गौरव से भर दिया है।

सैनिक स्कूल में एडमिशन हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं था. वहां के कड़े अनुशासन ने बेटे अनिमेष कुजूर की दिनचर्या को निखारा: अमृत कुजूर, अनिमेष कुजूर के पिता

 अनिमेष के माता और पिता दोनों छत्तीसगढ़ पुलिस में बतौर डीएसपी के पद पर पदस्थ हैं. वर्तमान में दोनों बलौदा बाजार में पदस्थ हैं. अनिमेष के पिता अमृत कुजूर ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल, खेल, कोचिंग सब बंद थे. तब सैनिक स्कूल में रहकर अनिमेष ने खुद को एक नई दिशा दी और वह एथलेटिक्स प्लेयर बनकर लोगों के सामने उभरा. पिता अमृत कुजूर ने बताया कि हमें उसने कभी नहीं बताया कि वो दौड़ना शुरू कर चुका है. जब पहली बार उसने बताया कि वो स्कूल में रनिंग कर रहा है, तो हमें अच्छा लगा, पर अंदाज़ा नहीं था कि यह उसके लिए एक जुनून के रुप में बदल जाएगा।

 कांकेर जिले में जब युवा एवं खेल विभाग द्वारा एक प्रतियोगिता आयोजित की गई. प्रतियोगिता में अनिमेष ने 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़, 400 मीटर दौड़, लॉन्ग जंप, हाई जंप स्पर्धा में भाग लिया. पांचों इवेंट में अनिमेष ने स्वर्ण पदक जीता. इस असाधारण जीत ने अनिमेष को पहले राज्य स्तर पर नई पहचान दी. इस प्रदर्शन के बाद अनिमेष को रायपुर वेस्ट ज़ोन एथलेटिक्स मीट में भेजा गया. वेस्ट ज़ोन एथलेटिक्स मीट में भी उन्होंने 100 और 200 मीटर में गोल्ड मेडल जीतकर गुवाहाटी में नेशनल अंडर-18 प्रतियोगिता के लिए अपना नाम पक्का किया.

 सूत्रों ने आगे बताया कि अंडर-18 प्रतियोगिता में चयनित होने वाले अनिमेष को गुवाहाटी में एक चुनौती सामने आई, दरअसल उन्होंने कभी स्पाइक शूज़ नहीं पहने थे, प्रतियोगिता से पहले उनके पिता ने उन्हें जीवन के पहले प्रोफेशनल स्पाइक शूज़ दिलाए। वो पहली बार उन जूतों को पहनकर नेशनल ट्रैक पर दौड़े और 100 और 200 मीटर दोनों में चौथा स्थान हासिल किया. अनिमेष कुजूर की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जशपुर जैसे आदिवासी और वन बहुल जिले में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरुरत है तो बस प्रतिभा को निखारने और सही मौका देने की।

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