chhattisgarhसीतापुर

2006 से स्कूल भवन स्वीकृत, अब तक निर्माण अधूरा…बच्चों को किचन और खंडहर आंगनबाड़ी में बैठकर पढ़ने को जिम्मेदारों ने किया मजबूर

शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को इसे अवगत कराया गया है लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है,विकासखंड शिक्षा अधिकारी ग्राम पंचायत सचिव सरपंच से लेकर सभी जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया जा चुका है... सभी जिम्मेदार मौन आखिर क्यों?

The chalta/बच्चे अपने भविष्य संवारने के लिए स्कूल जाते हैं,पालक भी यही उम्मीद के साथ अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, कि बच्चा पढ़ लिखकर कामयाब हो सके और बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के साथ बुनियादी सुविधा मिले जहां बैठने कि उचित व्यवस्था हो, शौचालय हो, और बच्चा पढ़ाई के साथ साथ अन्य गतिविधियों में एक्टिव रहे। जहां खेल कूद हो जिसके लिए एक सुंदर ग्राउंड हो,जिससे बच्चों का मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास हो सके पालक चाहते है कि बच्चों को पढ़ाई में मन लगे बच्चा तनाव न ले और अपना भविष्य बना सके। लेकिन सरगुजा के मैनपाट से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देगी और पालकों की उम्मीद पर पानी फेरता ये तस्वीर जरा देखिए जहां सरकार के दावों पर पलीता लगाती तस्वीर ,शिक्षा विभाग की पोल खोलती यह तस्वीर ,जहां नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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अमूमन आपने किचन में खाना पकते हुए देखा होगा लेकिन आज हम आपको एक सरकारी स्कूल कि पोल खोलती तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जहां नौनिहालों को किचन में बैठाकर पढ़ाई कराते हैं शिक्षक दरअसल जिले के मैनपाट का ग्रामीण इलाका कूदारीडीह जंगल पारा में प्राथमिक शाला स्कूल का संचालन बहुत पहले से हो रहा है, लेकिन अब तक भवन नहीं बन सका है और नहीं शौचालय का निर्माण हुआ है ,बच्चे कभी किचन में तो कभी आंगनबाड़ी भवन में बैठते हैं, आप जरा तस्वीर देखिए बच्चे छोटे से सकरे किचन में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। बरसात अपने पूरे शबाब पर है लगातार बारिश हो रही है जिससे बच्चों के साथ शिक्षकों को भी परेशानीहो रही है , जहां कुछ बच्चों को छत् से प्लास्टर टूटकर गिर रहे भवन में बैठकर पढ़ाई कराई जाती हैं जिससे पुस्तक कापी सब भीग जाते हैं साथ ही स्कूल के कागजात को भी रखने में परेशानी झेलनी पड़ रही है।।

वर्ष 2006 में स्कूल भवन की स्वीकृति हुई लेकिन अब तक निर्माण अधूरा आखिर इतने सालों से भवन क्यों नहीं बन सका, ये बड़ा सवाल है, भवन में केवल आपको नींव के साथ एक दो लेयर ईंट की जुड़ाई दिखेगा तो सोचिए जरा एक तरफ शिक्षा विभाग बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन जमीनी हकीक़त कुछ और है।।।

द चलता न्यूज़ से स्कूल के हेड मास्टर ने बातचीत में बताया कि प्राथमिक शाला जंगल पारा भवन विहीन है, अभी जो हम लोग आंगनबाड़ी में बैठते हैं,जिसमें बच्चे पढ़ रहे हैं, एक सप्ताह पहले जिस तरह से पानी आया ऊपर से छत प्लास्टर टूट कर गिरने लगी है, साथ–साथ सिपेज हो रहा पानी टपक रहा है जो समानों को भीगा रहा है,और इस जगह पर कोई शासकीय भवन नहीं है, तो ऐसे में बच्चों को किचन में बैठ कर पढ़ाई कराई जा रही है, और कुछ आंगनबाड़ी भवन सही है उधर बैठा कर पढ़ाई कर रहे हैं पहले से पांचवी तक एक ही जगह तीन टीचर हैं। तो ऐसे में कुछ बच्चों को किचन में तो कुछ बच्चों को खंडहर आंगनबाड़ी भवन में बैठकर पढ़ाई कराई जा रही है।आगे कहा किचन में सबजेक्ट के हिसाब से बैठते हैं ,ऊपर आंगनबाड़ी भवन में प्लास्टर चिपकाया गया है। अंदर में भी कुछ तिरपाल लगाया गया है जिसमें बच्चे बैठते हैं।

वजह जानकर होगी हैरानी…दरअसल हेड मास्टर घनश्याम ने बताया कि स्कूल भवन निर्माण अधूरा है 2006 में स्वीकृत हुआ जिसका पंचायत विभाग ही निर्माण एजेंसी था ,और अभी तक यह नहीं बन पाया है और शौचालय क भी काम अधूरा है ।

शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को इसे अवगत कराया गया है लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है,विकासखंड शिक्षा अधिकारी ग्राम पंचायत सचिव सरपंच को सूचना दिया जा चुका है कि भवन विहीन है, ऐसे में आंगनबाड़ी भवन में बैठा रहे हैं,वह भी जर्जर है और किसी तरह किचन में ही बैठ कर गुजारा किया जा रहा है ।
बरसात के दिनों में हो रही भारी परेशानी किचन में बैठे हैं जगह कम पढ़ रहा है और खाना सहायिका के घर में बनाना पड़ रहा है ।शिक्षकों को भी परेशानी हो रही है,समान का रख–रखाओ में अभाव है बचे ज्यादा होते हैं पढ़ाने में दिक्कत है क्लास वाइस बैठने की सुविधा नहीं है।

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