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आजादी के 75 साल पूर्ण होने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीणों से जिला पंचायत सदस्य ने की मुलाकात, अब ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से नहीं रहेंगे वंचित: डीडीसी शिव..

एकतरफ देशभर में आजादी के 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्‌य में अमृत महोत्सव मनाया जा चूका है। वहीं आज भी सरगुजा जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे समस्याओं से जकड़े हुए हैं। यहां सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं। ऐसे ही गांव में जिला पंचायत सदस्य ने ग्रामीणों से की सौजन्य मुलाकात..

The chalta/सीतापुर/सरगुजा 12अप्रैल2025:  एक तरफ देशभर में आजादी के 75 वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया जा चूका है। वहीं आज भी जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे समस्याओं से जकड़े हुए हैं। यहां सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं। ऐसा ही गांव भारतपुर का लकरालाता पारा है। पहाड़ी अंचल में बसे इस पारा के लोग विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं।ऐसे ही गांव में आज जब पहुंचे जिला पंचायत सदस्य शिव भरोस बेक अपने दल के साथ तब  ग्रामीणों ने समस्याओं से अवगत कराया।

तहसील मुख्यालय से करीब 20-25 किमी दूर ग्राम पंचायत भारतपुर के अंतर्गत लकरा लाता गांव है। लोगों का कहना है वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। सुलभ जीवनयापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें मताधिकार तो मिला है लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद सरपंच से लेकर विधायक-सांसदों को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिला। ये हालात यकायक नहीं बने, बल्कि आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार इस गांव में न तो पेयजल की उपलब्धता के लिए कोई सरकारी योजना संचालित है, न ही गांव से शहर की ओर जाने के लिए पक्का मार्ग ही यहां निर्मित हो सका है। इसके अलावा उनका जीवन नरक समान है। यदि किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो यहां पर एंबुलेंस आदि का आना नामुमकिन है। ग्रामीण ही अपने बीमार स्वजन को चारपाई पर लेटाकर उसे कांधे पर रखकर शहर की ओर भागते हैं। बात करने पर ग्रामीणों का आक्रोश भी सामने आ जाता है। उनके अनुसार देश की आजादी को भले ही 75 साल से अधिक का वक्त हो गया हो लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है।वे आज भी समस्यारूपी गुलामी में जीने को विवश हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दर्जनों योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। ग्राम विकास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इसका लाभ भी भारतपुर के लोगों को नहीं मिला है। वर्तमान में भीषण गर्मी के चलते यहां पर गंभीर पेयजल संकट बना हुआ है। ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार गांव में ढोढ़ी हैं उसी से जीवन यापन करते हैं। पहाड़ी अंचल होने के कारण यहां का भू जलस्तर गर्मी शुरू होने के पूर्व ही बहुत नीचे चला जाता है। इस बार भी यही हालात बन रहे हैं,बताते हैं कि पानी की उपलब्धता के लिए वे गांव में खुदे एक ढोढ़ी पर ही निर्भर हैं। पुरुष-महिलाएं, बच्चे आदि सभी सुबह-शाम इसी ढोढ़ी पर पहुंचकर पीने व निस्तार के लिए पानी जुटाते हैं। यहां पर पानी का संकट विकराल रूप धारण किए हैं। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से लेकर जनपद तक के जिम्मेदारों को यहां के हालातों के बारे में पता है। इसे लेकर कई बार शिकायतें की गईं, राहत मांगी गई लेकिन हुआ क्या, कुछ नहीं। प्रशासनिक अधिकारी समस्याओं पर तमाशबीन बने हुए हैं जनप्रतिनिधियों की तरह अधिकारी भी सिवाय कोरी घोषणाएं करने के अलावा कोई राहत नहीं देसके हैं।

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