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विधानसभा सत्र में सीतापुर विधायक ने जाति प्रमाण-पत्र के अभाव में पिछड़ेपन का अभिशाप झेल रहे मांझी मझवार समाज के जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा उठाया, मंत्री ने दिया जवाब

मामले में आदिम जाति कल्याण मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि आखिर कब इनके साथ सामाजिक न्याय होगा। ये समाज कब तक पिछड़ेपन का अभिशाप झेलता रहेगा

विधानसभा सत्र के दौरान जाति प्रमाण-पत्र के अभाव में पिछड़ेपन का अभिशाप झेल रहे मांझी मझवार समाज के लोगों के जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा विधायक रामकुमार टोप्पो ने जोर शोर से उठाया। उन्होंने इस मामले में आदिम जाति कल्याण मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि आखिर कब इनके साथ सामाजिक न्याय होगा। ये समाज कब तक पिछड़ेपन का अभिशाप झेलता रहेगा।

गौरतलब है कि विधानसभा क्षेत्र सीतापुर में मांझी मझवार जाति की अच्छी खासी आबादी है। खास कर मैनपाट के पहाड़ी एवं तराई क्षेत्र में इनकी आबादी काफी ज्यादा है। एक अनुमान के मुताबिक देखा जाए तो पूरे विधानसभा क्षेत्र में इनकी कुल आबादी लगभग 30 से 35 हजार के बीच है। इतनी आबादी होने के बाद भी इस जाति के लोग समाज के मुख्यधारा से दूर अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर है। वन क्षेत्रों में रहने वाले मांझी मझवार जाति के लोगो का रहन सहन आज भी आधुनिकता से परे है। इनके रहन सहन की वजह से इन्हें समाज मे विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा दिया जाता हैं। किंतु सेटलमेंट के अनुसार शासकीय दस्तावेज में मात्रा त्रुटि की वजह से इनका जाति प्रमाण पत्र नही बन पा रहा है। जिसकी वजह से ये शिक्षा समेत सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित हो जा रहे है।

इस समाज के लोगो को शासन से पर्याप्त एवं समुचित लाभ नही मिल पा रहा है। गरीबी की वजह से इस समाज का युवावर्ग शिक्षित नही हो पा रहे। जिसकी वजह से इस समाज का अशिक्षित युवावर्ग बेरोजगार होकर डर डर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। इस मुद्दे को लेकर इस समाज के लोगों ने काफी आवाज उठाई। रायपुर से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगाई लेकिन इसका कोई समाधान नही निकला। आर्थिक तंगी के साथ नेतृत्व क्षमता का अभाव एवं ऊंची पहुँच की कमी की वजह से इस समाज के लोग दौड़ भाग करने के बाद थककर चुप बैठ गए थे। बीते साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान समाज के लोगो ने यह मुद्दा मौजूदा विधायक के समक्ष रखी थी। तब उन्होंने समाज के लोगो को भरोसा दिलाया था कि विधायक बनने के बाद वो इस मुद्दे को अवश्य उठायेंगे।

विधायक बनते ही रामकुमार टोप्पो ने पहले विधानसभा में ही इस मुद्दे को बड़े जोर शोर से उठाया। इस बार फिर उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा सत्र के दौरान उठाते हुए अजाक मंत्री से सवाल किए। जिसपर अजाक मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि इस प्रकरण को तैयार कर जल्द भारत सरकार के पास भेजा जायेगा। अजाक मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट विधायक ने ध्यानाकर्षण कराते कहा कि पिछली बार भी मेरे सवाल पर यही जवाब मिला था। इस बार भी वही रटा रटाया जवाब सुनने को मिल रहा है। इसमे हो रही लेटलतीफी से मांझी मझवार समाज को काफी नुकसान हो रहा है। एक एक दिन उनके लिए भारी पड़ रहा है। उन्होंने अजाक मंत्री से कहा कि यह बहुत संवेदनशील मामला है। जिसे बड़ी गंभीरता से लेते इस पर वैधानिक रूप से ठोस पहल करने की जरूरत है। ताकि वनक्षेत्रों में रहने वाले मांझी मझवार समाज के लोगों का जाति प्रमाण पत्र जारी हो सके। जिससे कि वो भविष्य में समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके।

संबंध में विधायक रामकुमार टोप्पो ने कहा कि मांझी मझवार आजादी के बाद से आज तक अन्य उपेक्षा का दंश झेल रहा है। वनक्षेत्रों में रहने वाला ये विशेष जनजाति समाज पूर्व में हुई लिपिकीय त्रुटियो की वजह से अभिशप्त जिंदगी जीने को मजबूर है। इस प्रजाति के लोग अभी भी समाज से मुख्यधारा से कटे हुए है। मेरा एक ही उद्देश्य है कि इन्हें अजजा का दर्जा मिले। जिससे कि इस समाज के लोगो का जाति प्रमाण पत्र बन सके। जिसके बदौलत इस समाज का युवा पढ़ लिखकर होनहार बन सके और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके। जब तक इन्हें ये दर्जा हासिल नही हो जाता मैं इसके लिए आवाज उठाता रहूंगा।माझी और संवता दो अलग जाति है। जिसे एक जाति बताते हुए शासकीय दस्तावेज में त्रुटिवश दर्ज कर दिया गया है। जिसकी वजह से मांझी समाज को न जनजाति का दर्जा मिल पा रहा है न ही उनका जाति प्रमाण पत्र बन पा रहा है। पढ़ाई के दौरान अस्थायी रूप से जाति प्रमाण पत्र बनाया जाता है। मांझी समाज चाहता है कि जाति प्रमाण पत्र स्थायी रूप से बने। ताकि इस समाज के युवाओं को इसका लाभ मिल सके। वो पढ़ लिखकर समाज की मुख्यधारा में जुड़ सके।

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