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KVK की स्वर्ण जयंती के अवसर पर प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

किसान भाई प्राकृतिक खेती के माध्यम से मृदा स्वास्थ व पर्यावरण सुधार के साथ -साथ खेती की लागत को कम कर सकते हैं - डॉ. शर्मा

इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, मैनपाट, चलता में आज देश में स्थापित प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र के 50 वीं वर्षगाठ के उपलक्ष्य में प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

केन्द्र प्रमुख डॉ. संदीप शर्मा ने बताया की देश में पहला कृषि विज्ञान केन्द्र वर्ष 1974 में पांण्डुचेरी (तमिलनाडु) में प्रारम्भ किया गया था और आज कुल 731 कृषि विज्ञान केन्द्र देश में कार्यरत हैं। डॉ शर्मा ने आगे कहां की कृषि विज्ञान केन्द्रों का उद्देश्य नवीनतम कृषि तकनिकों को किसानों तक पहुंचना, किसान व कृषि विस्तार अधिकारीयों को प्रशिक्षण देना वा किसानों के खेतों में प्रदर्शन लगाना साथ ही साथ किसानों को उन्नत किस्म के बीज व पौध उपलब्ध करवाना हैं। उन्होंने बताया की देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यों को कई बार हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा सराहा गया है।

कृषि विज्ञान केन्द्र के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा स्वर्ण जयंती मसाल को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक को सौंपीं गयी, उक्त मसाल यात्रा महानिदेशक द्वारा इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल को सौंपीं गयी तत्पश्चात निदेशक विस्तार सेवाएं इ. गा. कृ. विश्व के माध्यम से छत्तीसगढ़ के समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों से होते हुये मसाल कृषि विज्ञान केन्द्र में आज दिनांक 17 सितम्बर को पहुंची। इस अवसर पर आयोजित प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला में किसानों को प्राकृतिक खेती विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गयी। केन्द्र प्रमुख किसानों को सम्बोधित करते हुये कहा की किसान भाई प्राकृतिक खेती के माध्यम से मृदा स्वास्थ व पर्यावरण सुधार के साथ -साथ खेती की लागत को कम कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र जशपुर के प्रमुख श्री राकेश भगत ने किसानों को परंपरागत कृषि के बारे में जानकारी दी। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. छात्रपाल रहाँगडाले ने रासयनिक उर्वरक व कीटनाशको से होने वाले नुकसान व प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. प्रदीप लकड़ा द्वारा किसानों को जैविक खेती पर व्याख्यान दिया गया। डॉ. शमशेर आलम द्वारा रासायनिक कीटनाशक के विकल्प के रूप में कीटो व बीमारियों से फसल को बचाने के लिए निमास्त्र, सतपर्नी, ब्रह्मास्त्र व संजीवक इत्यादि के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। डॉ. पुष्पेंद्र सिंह द्वारा सब्जियों में जैविक किट प्रबंधन विषय पर जानकारी दी गयी। उक्त कार्यशाला का समापन स्वर्ण जयंती मसाल को कृषि विज्ञान केन्द्र जशपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख को सौप कर की गयी।

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