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फ़ेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई (FWICE) है एशिया की सबसे बड़ी फ़िल्म फ़ेडरेशन

कहते हैं सिनेमा, समाज का आईना होती है, जो समाज की चीज़ों को लेकर, समाज को ही जागरूक और मनोरंजित करने का कार्य करती है। फ़िल्म निर्माण एक अत्याधुनिक रचनात्मक कार्य है, जिसमें बुद्धि के साथ हुनर का एक रूप देखने को मिलता है। आप चाहे एक सेकण्ड की सिनेमा का ही निर्माण क्यों न करें, उसके लिए भी वही मेहनत लगती है, जितना दो घंटे वाली फ़िल्म के लिए लगते हैं। हाँ, ये बात अलग है कि-संसाधनों और समय के बंटवारे में विभिन्नताएं हो सकती हैं, फिर भी बुद्धि के साथ हुनर की उपयोगिता को कभी भी, किसी भी पैमाने पर नहीं मापा जा सकता। प्री से लेकर प्रोडक्शन और उसके बाद पोस्ट प्रोडक्शन को साकार करने के बाद ही कार्य की सम्पन्नता कही जाती है। फ़िल्म निर्माण में प्रोड्यूसर-डायरेक्टर, आर्टिस्ट के अलावा कैमरामैन, टेक्नीशियंस, स्पॉटबॉय और क्रू मेंबर्स का भी बड़ा अहम योगदान होता है। ये सभी लोग किसी न किसी एसोसिएशन से ज़रूर जुड़े होते हैं, जो इन सभी कलाकारों के हितों के साथ सुरक्षा और संवर्धन के अलावा इनको प्रोत्साहित करने का भी कार्य करती है।

आज हम आपको एशिया के सबसे बड़े फ़िल्म फ़ेडरेशन- फ़ेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई (FWICE) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कुल 34 एसोसिएशंस को मैनेज करती है। इस फ़ेडरेशन में अभिनेता, निर्माता-निर्देशक और जूनियर आर्टिस्ट होते हैं। इसमें अभी कम से कम 4 से 5 लाख मेंबर्स जुड़े हुए हैं। ये फ़ेडरेशन 34 एसोसिएशन की मदर बॉडी है। अभी FWICE के प्रेसिडेंट बीएन तिवारी हैं।

1956 में हुई थी शुरुआत
‘फ़ेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई’ की शुरुआत 1956 में हुई थी। लेकिन इसका रजिस्ट्रेशन 1958 में हुआ। FWICE के प्रेसिडेंट बीएन तिवारी के अनुसार- उस समय तक बहुत सारी एसोसिएशन हो गई थीं और उतनों को नियंत्रित करने के लिए एक मदर बॉडी की आवश्यकता थी। इसी आधार पर FWICE का गठन किया गया। वैसे अगर कुछेक को छोड़ दिया जाए, तो आज की डेट में फ़िल्म इंडस्ट्री में जो लोग काम कर रहे हैं, उनमें 90% लोग इन 34 एसोसिएशन के साथ जुड़े हुए हैं। अगर ये एसोसिएशन अपने मेंबर्स को काम करने से रोक दें, तो अगले दिन से फ़िल्में बननी बंद हो जाएंगी। इस बात से ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि-फ़ेडरेशन कितना महत्वपूर्ण रोल प्ले करता है।

जिस एसोसिएशन ने FWICE का संविधान नहीं माना, उसके विरुद्ध कार्रवाई
वैसे तो सभी फ़ेडरेशन का अपना संविधान होता है, लेकिन FWICE के संविधान को 34 एसोसिएशन और इसके मेंबर्स को मानना ही मानना है। यदि भूलवश भी किसी ने FWICE के ख़िलाफ़ जाने की हिमाक़त भी की, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। इन सबके अलावा भी यदि कोई मेंबर अपने एसोसिएशन के ख़िलाफ़ किसी असंदिग्ध कार्य में लिप्त पाया गया, तो FWICE उसकी सदस्यता समाप्त कर सकती है।

फेडरेशन ने फ़िरोज़ नाडियाडवाला से वसूले थे 3 करोड़ रुपए
FWICE किसी को भी नहीं छोड़ती, ये बात हम नहीं ख़ुद इसके प्रेजिडेंट बताते हैं। बीएन तिवारी बताते हैं कि- डायरेक्टर फ़िरोज़ नाडियाडवाला से फ़ेडरेशन ने 3 करोड़ रुपए वसूले थे। उन्होंने कहा कि- 8 साल पहले फ़िरोज़ की एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी, उसके बाद उन्होंने डायरेक्टर अनीस बज़्मी सहित कई लोगों की फ़ीस नहीं दी। जब फ़ेडरेशन को ये बात पता चली, तो उन्होंने रकम वसूल की, उसके बाद ही फ़िरोज़ आगे के प्रोजेक्ट पर काम कर पाए। बता दें कि- फ़िरोज़ वही नाम है, जिन्होंने वेलकम और हेरा फेरी सीरीज़ की सारी फ़िल्मों का प्रोडक्शन किया और अनीस बज़्मी ने वेलकम, रेडी और भूल भुलैया-2 का डायरेक्शन किया।

ऐसे होता है FWICE के प्रेसिडेंट का चुनाव
जैसे कि- इसमें 34 एसोसिएशन हैं, इसमें से तीन आदमी जनरल काउंसिल के लिए चुने जाते हैं। उन तीनों में से एक आदमी को वोट देने का अधिकार होता है। मतलब हर एसोसिएशन से एक वोट मान्य होता है। अब 34 एसोसिएशन हैं तो हिसाब से 34 लोग मिलकर FWICE के प्रेसिडेंट को चुनते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि- अभी आने वाली 13 मई को FWICE के प्रेसिडेंट का चुनाव होना है।

आर्टिस्ट के हितों और पेमेंट के लिए प्रोड्यूसर्स से होती है बहस
बीएन तिवारी कहते हैं कि- इंडस्ट्री में तीन महीने बाद पेमेंट वाला सिस्टम समझ में नहीं आता। टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाले आर्टिस्ट, डायरेक्टर, क्रिएटिव डायरेक्टर, क्रू मेंबर्स, टेक्नीशियन और शो से जुड़े सारे मेंबर्स को तीन महीने बाद पेमेंट मिलती है। वो शुरुआती तीन महीने तक बिना पैसे के काम करते हैं। इसको लेकर उनकी प्रोड्यूसर्स से कई बार बहस होती है। तिवारी का व्यक्तिगत मत है कि- एडवांस में इतना तो पैसा रखकर चलना चाहिए- जिससे कि काम करने वालों को उनका मेहनताना मिलता रहे।

10,600 रुपए फ़ीस चुकाकर पा सकते हैं जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन की मेम्बरशिप
यदि किसी भी जूनियर आर्टिस्ट को एसोसिएशन का मेंबर बनना है, तो इसके लिए उन्हें 10,600 रुपए ख़र्चने पड़ेंगे। जब एक बार मेंबर बन गए, उसके बाद ये एसोसिएशन इन्हें काम मिलने के हिसाब से बुलाती है। जैसे जिस निर्माता की आवश्यकता होती है, वैसे फ़ेडरेशन अपने मेम्बर्स को बुलाकर काम दे देती है।

जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन की भी दो कैटेगरी
जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन की भी दो कैटेगरी है। पहला डीसेंट क्लास और दूसरा बी क्लास। डीसेंट क्लास में वो होते हैं, जिन्हें बड़े स्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर करना होता है। उदाहरण के लिए यदि अजय देवगन ने किसी फ़िल्म में पुलिस ऑफ़िसर का रोल किया, तो उनके साथ जो सिपाही के रोल में होंगे वो डीसेंट क्लास से लिए जाएंगे।

यदि किसी फ़िल्म में बहुत बड़ी भीड़ दिखानी है और उस भीड़ में से एकाध चेहरा भी स्क्रीन पर दिखे, तो वो बी-क्लास वाले जूनियर आर्टिस्ट होते हैं। जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन के एक्स वाइस प्रेसिडेंट रहे फ़िरोज़ ख़ान तो यहाँ तक बताते हैं कि- अगर किसी आर्टिस्ट की बेटी की शादी होती है, तो एसोसिएशन उसे 20 हज़ार रुपए की आर्थिक मदद भी करती है।

सिंटा- सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन मेंबर बनने के लिए ये चीज़ें हैं ज़रूरी
यदि किसी आर्टिस्ट को सिंटा का मेंबर बनना है, तो इसके लिए उसे कम से कम तीन फ़िल्म या तीन सीरियल में काम करना ज़रूरी है।उसे अपने किए गए काम की सीडी या पेन ड्राइव सिंटा की एक कमेटी को देनी होती है, फिर कमेटी उनका इंटरव्यू लेती है। इंटरव्यू में चयनित होने के बाद ही उन्हें मेंबरशिप प्रदान की जाती है। इसका मेंबर बनने के लिए 35 हज़ार रुपए देने होते हैं, जो तीन किश्तों में भी दिए जा सकते हैं।

12वीं से ही शुरू कर दें तैयारी
इंडियन फ़िल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक पंडित कहते हैं कि- यदि कोई व्यक्ति डायरेक्टर बनने की चाह रखता है, तो उसे इसकी तैयारी 12वीं से ही शुरू कर देनी चाहिए। 12वीं के बाद FTII जैसे संस्थान से डायरेक्शन का कोर्स करना भी बेहतर विकल्प हो सकता है। पूर्ण शिक्षा और प्रायोगिक ज्ञान के बाद ही किसी व्यक्ति को निर्देशन के क्षेत्र में आना चाहिए।

 

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