मंगरेलगढ़ में अरहर फसल प्रक्षेत्र दिवस एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट ने दलहनी फसलों के उत्पादन बढ़ाने और कीट-रोग प्रबंधन पर किसानों को दिया विशेष प्रशिक्षण

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट-सीतापुर द्वारा आदिवासी उप योजना अंतर्गत ग्राम मंगरेलगढ़ में अरहर फसल का अग्रिम पंक्ति फसल प्रदर्शन एवं प्रक्षेत्र दिवस सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. राजेश चौकसे के स्वागत उद्बोधन से हुई। उन्होंने कहा कि देश में दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश होने के बावजूद अभी भी 20–25% दाल आयात करता है। उन्होंने किसानों को फसल चक्र में दलहनी फसलों को शामिल करने की सलाह दी, जिससे भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा स्वाभाविक रूप से बढ़ती है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एग्रीप योजना प्रभारी डॉ. मयूरी साहू ने बताया कि यह योजना अखिल भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर से संचालित है, जो देश में दालों पर अनुसंधान करने वाला एकमात्र प्रमुख केंद्र है। इसका उद्देश्य नई किस्मों का विकास, किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करना, दाल उत्पादन बढ़ाना तथा पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
उन्होंने किसानों को बताया कि ट्राइकोडर्मा, पीएसबी और सिडोमोनस से बीज उपचार कर लाइन से फसल लगाने पर निगरानी एवं दवा छिड़काव आसान हो जाता है। अरहर में फूल झड़ने से रोकने के लिए एमिडाक्लोरोप्रिड 17.8% SL या फाइनफोस 25% का 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी।

इसी क्रम में योजना सदस्य एवं कीट वैज्ञानिक डॉ. नियति पांडेय ने अरहर फसल में लगने वाले प्रमुख कीट एवं रोगों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अरहर में फली भेदक कीट एक बड़ी समस्या है, जिसकी रोकथाम के लिए कार्बेन्डाज़िम 1 ग्राम तथा बोरान 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन श्री प्रदीप लकड़ा द्वारा किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट के वैज्ञानिक डॉ. सूरज चंद्र पंकज, संतोष साहू सहित अन्य कर्मचारी तथा लगभग 80 किसान भाई-बहन उपस्थित थे।



