अंबिकापुर में भव्य आयोजन; राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज की विरासत, संघर्ष और विकास योजनाओं पर रखे विचार; जनजातीय नायकों व कलाकारों का हुआ सम्मान
जनजातीय गौरव दिवस 2025: सरगुजा पहुंचे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, कहा– “आदिवासी संस्कृति को जीवित रखना बेहद जरूरी”

अंबिकापुर/20 नवंबर 2025/छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर पीजी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शिरकत की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति को जीवित रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज ने अपनी परंपराओं को संरक्षित रखा है, जिसके लिए वे पूरे समाज को धन्यवाद देती हैं।

राष्ट्रपति ने कहा— “मैं स्वयं जनजाति समाज की बेटी हूं, और अपनी संस्कृति को आज भी जीती हूं। शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, जंगल और जमीन के साथ आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देना समय की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन की दिशा में तेजी से कार्य कर रही हैं।”
ओडिशा–छत्तीसगढ़ के ‘रोटी-बेटी’ संबंधों का उल्लेख
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोगों में रोटी-बेटी का संबंध है। दोनों राज्यों के जनजातीय समाज की विरासत अत्यंत पुरानी और गहरी है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की तारीफ
राष्ट्रपति ने जनजातीय गौरव पखवाड़ा, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण और विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय व उनकी टीम की सराहना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ‘आदि कर्मयोगी’, ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और ‘प्रधानमंत्री जनमन योजना’ आदिवासी समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के नए अवसर प्रदान कर रही हैं।

राज्यपाल श्री रामेन डेका का संबोधन
राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि अपनी पहचान, सांस्कृतिक विरासत और वीर पूर्वजों को याद करने का दिन है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष, ‘उलगुलान’ आंदोलन और छत्तीसगढ़ के जनजातीय नायकों—शहीद वीर नारायण सिंह, राजा गेंद सिंह, कंगला मांझी, सीताराम कंवर व गुंडा धुर को श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का उद्बोधन
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी उपस्थिति से प्रदेश की गरिमा कई गुना बढ़ी है।
उन्होंने बताया कि—

- प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत 2,365 बसाहटों में तेजी से विकास कार्य जारी हैं।
- तेंदूपत्ता संग्राहकों की संग्रहण राशि 4,000 से बढ़ाकर 5,500 रुपये कर दी गई है।
- नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में है और मार्च 2026 तक इसके समूल नाश का लक्ष्य रखा गया है।
- शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह-संग्रहालय को राज्य स्थापना दिवस पर जनता को समर्पित किया गया है, जहाँ डिजिटल माध्यम से जनजातीय गौरवगाथा प्रस्तुत है।
केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके का वक्तव्य
श्री उईके ने भगवान बिरसा मुंडा को स्वाभिमान, सम्मान और सामाजिक न्याय का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातीय नायकों को इतिहास में उचित स्थान देने और उनके जन्मस्थलों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है।

आदिम जाति विकास मंत्री राम विचार नेताम का स्वागत उद्बोधन
उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस का उद्देश्य जनजातीय समाज के गौरवपूर्ण इतिहास को स्मरण कर उसे सुरक्षित रखना और भविष्य की प्रेरणा बनाना है।
उन्होंने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए आवास, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।

कलाकारों व जनजातीय नायकों के वंशजों का सम्मान
राष्ट्रपति मुर्मु ने—
- लिंगो गोटूल मांदरी नाचा पार्टी कोंडागांव
- जय माता दी करमा नृत्य पार्टी कांसाबेल
को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया।
राष्ट्रपति से बसन्त पण्डो की विशेष भेंट
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की पण्डो जनजाति के बसन्त पण्डो से विशेष मुलाकात हुई। उन्होंने स्नेहपूर्वक शॉल भेंट करते हुए कहा—“आप मेरे भी पुत्र हैं।”
बसन्त पण्डो वही व्यक्ति हैं जिन्हें वर्ष 1952 में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गोद में उठाया था और ‘गोलू’ नाम दिया था। इसी स्मृति के कारण पण्डो जनजाति को ‘राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र’ कहा जाता है।
कार्यक्रम में मंत्री, सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। समारोह ने सरगुजा में जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक धरोहर को एक नए रूप में जगमगा दिया।





