“द चलता” टीम की ख़बर का असर — अब बनेगा मछली नदी पर ब्रीज, 3000 ग्रामीणों को मिलेगा सीधा लाभ!
सुपलगा में बरसों से लकड़ी-बल्लियों से बनाया जाता था जुगाड़ का पुल, अब ₹607.31 लाख की लागत से होगा स्थायी निर्माण , दशकों पुरानी समस्या का अंत

बरसों से जुगाड़ पर टिका था जीवन
सुपलगा गांव के लोगों के लिए मछली नदी किसी चुनौती से कम नहीं थी। हर बरसात में जब नदी लबालब भर जाती, तो गांव का संपर्क मुख्य मार्ग से पूरी तरह टूट जाता था। मरीजों को 15 किलोमीटर घूमकर अस्पताल ले जाया जाता, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, और ज़रूरी सामान लाना दूभर हो जाता।

ग्रामीण हर साल खुद लकड़ी और बल्लियों से पुलिया बनाते थे, ताकि पैदल या बाइक से नदी पार की जा सके। यह ‘देशी जुगाड़ पुल’ उनकी मजबूरी का प्रतीक बन चुका था।
बरसात में कटा रहता था रास्ता, कई हादसे भी हुए
बरसात में नदी का बहाव इतना तेज़ हो जाता कि पुलिया पूरी तरह बह जाती। कई ग्रामीणों की जान जोखिम में पड़ी, कुछ लोग नदी में बह भी गए। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को बार-बार शिकायत दी गई, पर स्थायी समाधान कभी नहीं मिला।
“द चलता” की रिपोर्ट बनी परिवर्तन की वजह
“द चलता” की टीम ने हाल ही में इस समस्या पर ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की — जिसमें दिखाया गया कि आज़ादी के 79 साल बाद भी सुपलगा के लोग लकड़ी-बल्लियों के पुल से नदी पार कर रहे हैं।
देशी जुगाड़ बना ग्रामीणों का सहारा: मछली नदी पर अब तक नहीं बना स्थायी पुल
यह रिपोर्ट सोशल मीडिया और प्रशासनिक स्तर पर चर्चा में आई।
नतीजा — सरकार ने संज्ञान लेते हुए ₹607.31 लाख की लागत से मछली नदी पर स्थायी पुल निर्माण को मंजूरी दे दी।

607.31 लाख की ऐतिहासिक सौगात — 3000 लोगों को सीधा लाभ
यह पुल बनने से सुपलगा के 3000 लोग और आसपास के गांवों के लोग सीधे लाभान्वित होंगे। अब बारिश में रास्ते नहीं कटेंगे और आवागमन पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
ग्रामीणों ने जताया आभार
स्थानीय लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के साथ-साथ सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो एवं “द चलता” टीम का भी आभार जताया।
“हमारी आवाज़ अब सरकार तक पहुंच गई। यह पुल हमारे जीवन का सबसे बड़ा तोहफा है — द चलता ने हमारे दर्द को दिखाया, और सरकार ने सुन लिया।”
अब विकास की राह पर सुपलगा
इस पुल के बनने से क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। सीतापुर, मैनपाट और अंबिकापुर के बीच संपर्क आसान होगा।यह ब्रीज सिर्फ एक निर्माण नहीं – बल्कि आशा, आत्मनिर्भरता और विकास की नई पहचान बनेगा। फिलहाल टेंडर प्रक्रिया अभी बाकी है सूत्रों ने बताया जल्द ही सभी प्रक्रियाएं पूरी हो सकती है और निर्माण कार्य प्रारंभ।



