छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति से छेड़छाड़ – राज्य के सम्मान पर हमला, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग
सांस्कृतिक अस्मिता को ठेस पहुंचाने वाली यह घटना केवल मूर्ति तोड़फोड़ नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा पर आघात है — प्रशासन से फास्ट ट्रैक न्याय और पारदर्शी जांच की अपेक्षा

The chalta/छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति के साथ की गई तोड़फोड़ और अपमानजनक हरकत ने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। यह केवल एक मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की बात नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता, गौरव और सांस्कृतिक पहचान पर सीधा हमला है।
दिन-दहाड़े, भीड़भाड़ वाले चौक में हुई यह घटना कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के प्रति ऐसी असंवेदनशीलता न केवल अपराध है, बल्कि समाज की एकता और मर्यादा को भी चुनौती देती है।
जनभावनाओं को देखते हुए यह आवश्यक है कि पुलिस केवल औपचारिक एफआईआर पर न रुके, बल्कि इस अपराध को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, धार्मिक-सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस, आपराधिक साजिश और शांति भंग की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज करे। दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया को फास्ट-ट्रैक अदालत में चलाया जाना चाहिए, ताकि सजा और न्याय का संदेश स्पष्ट रूप से समाज तक पहुँचे।
इसके साथ ही, घटना की पारदर्शी जांच कर CCTV फुटेज, मोबाइल वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान जुटाए जाएं। किसी भी प्रकार की राजनीतिक भागीदारी या संरक्षण की संभावना की निष्पक्ष पड़ताल होनी चाहिए।
यह मामला केवल व्यक्तिगत अपराधियों तक सीमित नहीं रहना चाहिए — जिम्मेदार प्रशासनिक तंत्र और सुरक्षा व्यवस्था की भी समीक्षा आवश्यक है। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में प्रकाश, सीसीटीवी और पुलिस गश्त को बढ़ाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
अंततः, समाज में शांति, सद्भाव और सहिष्णुता का संदेश देने वाले कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है, ताकि कट्टरता और अपमान की मानसिकता को जड़ से समाप्त किया जा सके।
छत्तीसगढ़ महतारी के सम्मान से समझौता असंभव है।
कानूनी कार्रवाई कठोर होनी चाहिए, पर न्याय का मार्ग संवैधानिक और संतुलित रहे — ताकि अपराधियों में खौफ़ हो, पर समाज में नफरत और विभाजन नहीं।
 
				


