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“आदि कर्मयोगी अभियान”: आदिवासी सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल, मैनपाट में हुई विकास खण्ड स्तर पर शुरुआत

आदि कर्मयोगी अभियान" आदिवासी समुदायों को गवर्नेंस में भागीदारी और स्थानीय नेतृत्व के ज़रिए सशक्त बना रहा है। यह पहल भारत के लोकतंत्र को जड़ों से मजबूत करेगी, जहाँ सरकार की पहुँच काग़ज़ों तक सीमित न रहकर व्यवहारिक रूप से हर नागरिक तक पहुँचेगी..

The chalta/ मैनपाट, 11 सितंबर 2025:
भारत सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में सेवा, समाधान और समावेशन को सशक्त बनाने हेतु एक ऐतिहासिक कदम उठाया है — “आदि कर्मयोगी अभियान”। जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में शुरू किए गए इस अभियान को “रेस्पॉन्सिव गवर्नेंस प्रोग्राम” के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है आदिवासी समुदायों के भीतर से 20 लाख परिवर्तनकारी नेताओं का एक सशक्त कैडर तैयार करना जो शासन को जमीनी स्तर पर जवाबदेह और पारदर्शी बनाए।

यह अभियान “विकसित भारत 2047” के विजन से जुड़ा हुआ है और देशभर के 1 लाख से अधिक जनजातीय गांवों में लागू किया जा रहा है।

मैनपाट में कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ

इस अभियान की ज़मीन पर शुरुआत अब छत्तीसगढ़ के जनपद पंचायत मैनपाट में भी हो चुकी है। 10 सितंबर 2025 को जनपद पंचायत सभा कक्ष में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विकास खण्ड स्तरीय समस्त विभागों के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं NRLM दीदियों की उपस्थिति में कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की गई।

इस बैठक में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे:

  • जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जनपद सदस्यगण
  • जिला पंचायत सदस्य
  • भाजपा नेता रजनीश पांडे
  • बीईओ योगेश शाही
  • जनपद सीईओ कुबेर सिंह
  • महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी श्रीमती नामदेव
  • NRLM बीपीएम अमृत कुजुर, पीआरपी सुमन
  • अनिता मोदी (लखपति दीदी) सहित कई अन्य प्रमुख जन

बैठक में अधिकारियों द्वारा अभियान की रूपरेखा, उद्देश्यों एवं कार्यान्वयन प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई। जनप्रतिनिधियों ने इसे आदिवासी क्षेत्र के लिए “एक जन आंदोलन” करार देते हुए शासन को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में बड़ा और सार्थक कदम बताया।

सेवा और सहभागिता का संगम

“आदि कर्मयोगी अभियान” के तहत प्रत्येक जनजातीय ग्राम में “आदि सेवा केंद्र” की स्थापना की जा रही है, जो सरकारी योजनाओं की जानकारी देने और शिकायत निवारण में मदद करेंगे। इसके साथ ही “सेवा पर्व” (17 सितंबर से 2 अक्टूबर) और “निश्चय समय” जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए जनता और सरकार के बीच सीधा संवाद स्थापित किया जा रहा है।

प्रशिक्षण, नेतृत्व विकास और ‘विलेज विजन’

देशभर में Process Labs के माध्यम से राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये ट्रेनर्स स्थानीय स्तर पर “आदि कर्मयोगी”, “आदि सहयोगी” और “आदि साथी” जैसे नेतृत्व को तैयार करेंगे।

साथ ही, प्रत्येक गांव के लिए “ट्राइबल विलेज विजन 2030” बनाया जा रहा है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, बुनियादी ढांचा और सांस्कृतिक संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है।

तेजी से हो रहा अभियान का विस्तार

यह अभियान वर्तमान में छत्तीसगढ़, गुजरात, नागालैंड, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में सक्रिय रूप से चल रहा है।

  • छत्तीसगढ़: 6,650 गांव
  • गुजरात: 4,245 गांव
  • नागालैंड: 608 गांव
  • पुणे (महाराष्ट्र): 99 गांव
  • परवथिपुरम (आंध्र प्रदेश): 165 गांव

अब तक हजारों कर्मयोगियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, और वे जमीनी स्तर पर सेवा गतिविधियों में जुटे हुए हैं।

जनजातीय भारत के लिए नई दिशा

जनजातीय कार्य मंत्री के अनुसार, “यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि जनजातीय भारत के लिए एक जन आंदोलन है। शासन अब ऊपर से नीचे ही नहीं, नीचे से ऊपर की दिशा में भी सक्रिय होगा।”

“आदि कर्मयोगी अभियान” आदिवासी समुदायों को गवर्नेंस में भागीदारी और स्थानीय नेतृत्व के ज़रिए सशक्त बना रहा है। यह पहल भारत के लोकतंत्र को जड़ों से मजबूत करेगी, जहाँ सरकार की पहुँच काग़ज़ों तक सीमित न रहकर व्यवहारिक रूप से हर नागरिक तक पहुँचेगी।

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