
नई दिल्ली। भारत को उसका 15वां उपराष्ट्रपति मिल गया है। एनडीए के प्रत्याशी माननीय श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने विपक्ष के साझा उम्मीदवार न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से पराजित कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्हें कुल 452 मत प्राप्त हुए, जबकि रेड्डी को 300 मतों पर ही संतोष करना पड़ा।
इस जीत को राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय और विकास के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है। श्री राधाकृष्णन ने अपनी जीत के बाद कहा कि वे राष्ट्र के विकास और संविधान की गरिमा की रक्षा हेतु पूर्ण निष्ठा से कार्य करेंगे। उन्होंने “सहकारी संघवाद” को मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
राजनीतिक जीवन की झलक
तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 1957 में जन्मे चंद्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन आरएसएस की पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्होंने 1974 में जनसंघ के साथ राजनीति की शुरुआत की और वर्षों तक भाजपा के विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रहे और 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष भी बने।
इसके अतिरिक्त, वे कोयर बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे, जहां उनके नेतृत्व में कोयर उत्पादों के निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि हुई। वर्ष 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, तत्पश्चात महाराष्ट्र तथा तेलंगाना व पुडुचेरी के अतिरिक्त प्रभार भी संभाले।
बधाई संदेश: छत्तीसगढ़ से शुभकामनाएँ
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राधाकृष्णन जी को बधाई देते हुए कहा:

“माननीय श्री सी. पी. राधाकृष्णन जी को भारत के उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। देश सेवा के इस नए दायित्व में आपका कार्यकाल सफल एवं ऐतिहासिक हो।”
वहीं सीतापुर विधायक श्री रामकुमार टोप्पो ने भी इस उपलब्धि को “राष्ट्र की प्रगति के लिए एक सशक्त कदम” बताया और राधाकृष्णन जी को नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति बनने पर हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
विपक्ष के लिए झटका
इस चुनाव में विपक्षी INDIA गठबंधन के लिए यह परिणाम चिंता का विषय बना, क्योंकि कुल 15 से अधिक क्रॉस वोटिंग की घटनाओं ने उनकी एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह परिणाम एनडीए की संगठित रणनीति और राधाकृष्णन जी की व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है।
नया युग, नई उम्मीदें
राधाकृष्णन जी की यह जीत केवल एक राजनीतिक सफलता नहीं, बल्कि उन मूल्यों की विजय है जो भारत को उसकी लोकतांत्रिक नींव पर और अधिक सशक्त करते हैं। उनकी विनम्रता, अनुभव और राष्ट्रभक्ति से देश को एक नई ऊर्जा मिलेगी।