शिक्षक दिवस पर शर्मनाक घटना आई सामने: शिक्षिका ने दूसरी कक्षा की छात्रा को पीटा, अस्पताल में भर्ती
गंभीर घटना ने शिक्षक दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। मासूम बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार न सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों की छवि खराब करता है, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है..

The chalta/सीतापुर/सरगुजा / 05 सितंबर 2025:
जहां पूरे देश में 05 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरुजनों को सम्मानित किया जा रहा था, वहीं सरगुजा जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई है। सीतापुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत प्रतापगढ़ स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली दूसरी कक्षा की एक मासूम छात्रा के साथ स्कूल की शिक्षिका द्वारा की गई बर्बरता ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।
ग्राम गुतुरमा निवासी पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाया है कि स्कूल की शिक्षिका नम्रता गुप्ता ने छात्रा को बेवजह डंडे से पीटा और सज़ा के तौर पर 100 से अधिक बार उठक-बैठक करवाया। बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर उसे तत्काल अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह अभी भी इलाजरत है। परिजनों के मुताबिक, बच्ची घटना के बाद से मानसिक तनाव में है और डिप्रेशन में चली गई है।

परिजनों ने की कड़ी कार्रवाई की मांग
पीड़ित छात्रा के परिजनों ने मामले की शिकायत शिक्षा विभाग के अधिकारियों और सरगुजा एसपी कार्यालय में दर्ज कराई है। उनका कहना है कि यदि दोषी शिक्षिका के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
शिक्षा विभाग ने जांच के दिए आदेश
सीतापुर विकासखंड की बीईओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) इंदु तिर्की ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी मिल चुकी है और शिक्षा विभाग की एक टीम दो दिनों के भीतर स्कूल पहुंचकर निष्पक्ष जांच करेगी। उन्होंने कहा कि जांच में शिक्षिका दोषी पाई जाती है तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
विधायक ने दिलाया न्याय का भरोसा
सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए परिजनों को न्याय का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को जहां एक ओर विद्यार्थियों का मार्गदर्शक बनना चाहिए, वहीं इस प्रकार की घटनाएं पूरे शिक्षा तंत्र को कलंकित करती हैं।
शिक्षिका ने नहीं दी स्पष्ट प्रतिक्रिया
जब इस मामले में मीडिया टीम ने शिक्षिका नम्रता गुप्ता से संपर्क किया, तो उन्होंने फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया और अगले दिन स्कूल में पक्ष रखने की बात कही। वहीं, स्कूल प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
इस गंभीर घटना ने शिक्षक दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। मासूम बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार न सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों की छवि खराब करता है, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस मामले की जांच पूरी करता है और दोषी पर क्या कार्रवाई की जाती है।