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पूजा या साजिश? सरगुजा के गांव में परोसा गया खौफ, हर थाली में छुपा मौत का सस्पेंस

कुत्ते के काटे बकरे की बली से लगभग 350 से ज्यादा लोगों पर मंडराया रेबीज का खतरा, गांव में पसरा सन्नाटा और दहशत

The Chalta/छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अम्बिकापुर शहर से सटे ग्राम सरगंवा में एक हैरतअंगेज और अत्यंत गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पूरे गांव को भय और अनिश्चितता में डाल दिया है। 28 दिसंबर को गांव में आयोजित काली पूजा के दौरान एक ऐसे बकरे की बली दे दी गई, जिसे पहले एक कुत्ते ने काट लिया था। पूजा के बाद उसी बकरे का मांस प्रसाद के रूप में गांव के लोगों में बांट दिया गया, जिसे 350 से अधिक ग्रामीणों ने सेवन कर लिया।

ग्रामीणों का आरोप है कि उक्त बकरा गांव के सरपंच नारायण प्रसाद और उपसरपंच कृष्णा सिंह द्वारा गांव के ही निवासी नान्हू राजवाड़े से खरीदा गया था। सबसे गंभीर बात यह है कि बकरे को कुत्ते द्वारा काटे जाने की जानकारी होने के बावजूद उसकी बली देकर मांस ग्रामीणों को खिलाया गया। जब भोजन के बाद यह जानकारी ग्रामीणों तक पहुंची, तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया।

ग्रामीणों में अब रेबीज संक्रमण को लेकर भारी दहशत बनी हुई है। लोग अपने बच्चों, बुजुर्गों और परिवारजनों की सेहत को लेकर बेहद चिंतित हैं। गांव के अमरजीत ने बताया कि पूजा के दिन एक पागल कुत्ते ने बकरे को काटा था और उसी बकरे की बली देकर ग्रामीणों को खिला दिया गया, जिससे करीब 400 लोगों की जान खतरे में पड़ गई है।

वहीं ग्रामीण हलदार का कहना है कि मांस खाने के बाद उन्हें इस बात की जानकारी मिली कि बकरे को पहले कुत्ते ने काटा था। इसके बाद से गांव में भय का माहौल है और 350 से अधिक लोग लगातार चिंता और तनाव में जी रहे हैं।
इस पूरे मामले में फिलहाल सरपंच और उपसरपंच की ओर से कोई पक्ष या सफाई सामने नहीं आई है।

इधर, ग्रामीण प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से तत्काल गांव में स्वास्थ्य जांच कैंप, जरूरी उपचार और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि किसी बड़ी अनहोनी से पहले लोगों की जान बचाई जा सके।

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