पहुंचहीन पहाड़ी रास्तों ने फिर दिखाया दर्द, खाट में शव उतारते दिखे ग्रामीण
29 दिसंबर से लापता सुरेन्द्र तिर्की का तालाब में मिला शव, पोस्टमार्टम तक पहुंचाने में ग्रामीणों को उठाना पड़ा भारी संघर्ष

सीतापुर थाना क्षेत्र के भारतपुर–लकरालता की दुर्गम और पहुंचहीन पहाड़ियों में एक बार फिर मानव पीड़ा की तस्वीर सामने आई। 29 दिसंबर से लापता सुरेन्द्र तिर्की का शव 31 दिसंबर को लकरालता (चीनीपानी) तालाब में मिलने से पूरे इलाके में शोक का माहौल है। परिजनों का कहना है कि सुरेन्द्र मछली पकड़ने गया था और इसी दौरान पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई।
अशोक ने बताया:-शव मिलने के बाद डूबने, फांसी, ज़हर या अज्ञात मृत्यु की स्थिति में होने वाली मर्ग पंचनामा की कार्रवाई तो पूरी की गई, लेकिन असली चुनौती शव को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सीतापुर के शव परीक्षण गृह तक पहुंचाने में आई। सड़क और वाहन पहुंच के अभाव में पुलिस प्रशासन से लेकर परिजनों तक को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
हालात ऐसे बने कि ग्रामीणों और परिजनों ने मिलकर शव को खाट पर रखकर पहाड़ी रास्तों से नीचे उतारा। किलोमीटर की मशक्कत के बाद शव को पिकअप वाहन तक लाया गया, जहां से सीतापुर पुलिस उसे पोस्टमार्टम के लिए लेकर गई।
परिजनों ने बताया कि सुरेन्द्र 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे घर से निकला था। जब वह वापस नहीं लौटा तो 30 दिसंबर 2025 को सीतापुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई गई। परिजनों ने चप्पल व अन्य सामान के आधार पर तलाश शुरू की और 31 दिसंबर को तालाब में शव बरामद हुआ।
यह घटना एक बार फिर उस कड़वी हकीकत को सामने लाती है कि जनप्रतिनिधियों की घोषणाओं और भूमि पूजन के बावजूद आज भी पहाड़ी कोरवा और उरांव जनजाति के लोगों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में गंभीर परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी न केवल जीवन, बल्कि मृत्यु के बाद भी इन इलाकों के लोगों की परीक्षा ले रही है।



