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रकबा-खसरा की गलती ने फोड़ा किसानों का सब्र, धान खरीदी केंद्र पर उमड़ा आक्रोश

चार घंटे तक धरने पर बैठे सैकड़ों किसान, घेराव के बाद अधिकारियों के आश्वासन पर टूटा आंदोलन

The Chalta/मैनपाट के तराई क्षेत्र में रकबा और खसरा में सुधार नहीं होने की पीड़ा बुधवार को किसानों के आक्रोश के रूप में राजापुर सहकारी समिति पर छलक पड़ी। धान बेचने की उम्मीद लेकर पहुंचे सैकड़ों किसानों ने जब राजापुर धान खरीदी केंद्र में अपने ही रकबा–खसरा को सिस्टम से गायब पाया, तो उनका धैर्य जवाब दे गया। नाराज किसानों ने धान खरीदी केंद्र का घेराव कर धरना शुरू कर दिया, जिससे केंद्र का माहौल घंटों तक तनावपूर्ण बना रहा।

किसानों का दर्द यह है कि सरकार द्वारा बनाए गए जटिल नियम—पंजीयन, एग्रोस्टेक और कैरी फॉरवर्ड—उनके लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। महीनों की मेहनत से उगाई गई फसल बेचने के लिए किसान सोसायटी और दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं, लेकिन फिर भी उनका काम अधूरा रह जा रहा है। नियमों की उलझन ने कई किसानों को धान खरीदी केंद्रों से दूरी बनाने पर मजबूर कर दिया है।

राजापुर केंद्र में हालात तब बिगड़ गए जब टोकन कटवाने पहुंचे किसानों का रकबा–खसरा सिस्टम में दर्ज ही नहीं मिला। किसानों का कहना है कि सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद उन्हें टोकन से वंचित किया जा रहा है। बार-बार प्रयास के बाद भी समाधान न मिलने पर किसानों ने धरना शुरू कर दिया और सरकार पर धान खरीदी में भेदभाव के आरोप लगाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन और उग्र होगा, यहां तक कि ट्रेक्टर में धान लोड कर सड़क जाम से भी वे पीछे नहीं हटेंगे।

मैनपाट तहसीलदार ममता रात्रे ने बताया कि पूरे मामले की जानकारी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई है। जल्द ही एक विशेष टीम मौके पर पहुंचकर रकबा–खसरा से जुड़ी त्रुटियों का निराकरण करेगी, ताकि किसानों को अपनी मेहनत की फसल बेचने में दोबारा परेशानी न उठानी पड़े।

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