झारसुगुड़ा में सम्पन्न हुआ 18वां राष्ट्रीय कुंडुंख भाषा सम्मेलन: कुंडुंख भाषा सम्मेलन अब बिहार और अंडमान में -छत्तीसगढ़ को मिला नया अध्यक्ष
देश के 13 राज्यों से पहुंचे दो हजार भाषा प्रेमी, शोधपत्रों और साहित्यिक प्रस्तुतियों से गूंजा सम्मेलन स्थल:2026 में पूर्णिया (बिहार) और 2027 में पोर्टब्लेयर (अंडमान) में होगा आयोजन, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पर बांग्लादेश में अनिश्चितता

The chalta/उड़िसा के झारसुगुड़ा में 24 और 25 अक्टूबर 2025 को 18वां राष्ट्रीय कुंडुंख भाषा सम्मेलन बड़े हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। कुंडुंख लिटरेरी सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देश के 13 राज्यों से करीब 2000 कुड़ुख भाषा प्रेमी शामिल हुए। प्रतिभागियों ने कहानी, कविता, शोध प्रबंध, लोकोक्तियां, उपन्यास और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कुड़ुख भाषा की समृद्ध परंपरा को प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय विधायक कर्नल डॉ. एस. सी. राजन एक्का (राजगांगपुर, उड़िसा) रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कुंडुंख भाषा न केवल भारत की प्राचीन विरासत की ध्वनि है, बल्कि जनजातीय समाज की पहचान और संस्कृति की आत्मा भी है।

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कुंडुंख भाषा के प्रचार-प्रसार, शोध और विकास के साथ-साथ इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराना रहा।

इस अवसर पर कुंडुंख भाषा के प्रखर शोधकर्ताओं और साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ प्रदेश से “शिव भरोश बेक (DDC)” के नेतृत्व में 21 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी की और कुंडुंख भाषा के संरक्षण पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।प्रत्येक वर्ष देश के विभिन्न कुंडुंख भाषी राज्यों में कुंडुंख भाषा सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। आगामी वर्ष 2026 में यह सम्मेलन बिहार राज्य के पूर्णिया में तथा 2027 में पोर्टब्लेयर (अंडमान) में आयोजित किया जाएगा।
प्रत्येक तीन वर्ष में अंतरराष्ट्रीय कुंडुंख भाषा सम्मेलन भी आयोजित किया जाता है। इस वर्ष के अंत तक इसका आयोजन बांग्लादेश में प्रस्तावित था, किंतु वहां की राजनीतिक अस्थिरता के कारण सम्मेलन की संभावना अब कम हो गई है।

इस बीच छत्तीसगढ़ प्रदेश के नए अध्यक्ष के रूप में श्री मुन्ना टोप्पो को मनोनीत किया गया है। इससे पहले इस पद की जिम्मेदारी श्री शिव भरोस बेक के पास थी।
सम्मेलन के समापन सत्र में यह आह्वान किया गया कि सभी प्रदेशों के कुंडुंख भाषा प्रेमी मिलकर इस भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में संगठित प्रयास जारी रखें।
 
				


