जहाँ चाह, वहाँ राह: रोहित टोप्पो की कहानी,सच्ची शक्ति शरीर में नहीं…
शारीरिक चुनौतियों को मात देकर शिक्षा की ओर अग्रसर एक होनहार छात्र

The chalta/पेटला, छत्तीसगढ़ – सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पेटला का छात्र रोहित टोप्पो आज कई छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। वह शारीरिक रूप से दोनों पैरों से दिव्यांग है, उसकी लंबाई मात्र ढाई से तीन फीट है और वह स्वयं चलने-फिरने में असमर्थ है। बावजूद इसके, उसकी शिक्षा के प्रति लगन और अदम्य इच्छाशक्ति ने उसे पूरे विद्यालय का प्रिय छात्र बना दिया है।
हर दिन रोहित अपने भाई साहिल की गोद में बैठकर विद्यालय आता है और उसी तरह घर लौटता है। यह रोज़ की मेहनत न केवल साहिल के समर्पण को दर्शाती है, बल्कि रोहित की सीखने की ललक और धैर्य को भी उजागर करती है।
विद्यालय के व्याख्याता श्री सुनील तिवारी ने इस वर्ष रोहित को विद्यालय का “लाड़ला छात्र” घोषित किया है। यह सम्मान उसकी सतत उपस्थिति, अनुशासन और सकारात्मक सोच का प्रमाण है। पढ़ाई में वह भले ही औसत हो, लेकिन उसका हौसला असाधारण है।
“सच्ची शक्ति शरीर में नहीं, इच्छाशक्ति में होती है,” यह कहावत रोहित पर बिल्कुल सटीक बैठती है।विद्यालय परिवार और समस्त ग्रामवासी रोहित की आगे की पढ़ाई के लिए आवश्यक सहयोग और अवसर की कामना कर रहे हैं।
एक संदेश:
“जहाँ चाह, वहाँ राह” – रोहित टोप्पो इसका जीता-जागता उदाहरण है।