नैनो उर्वरकों से आत्मनिर्भर किसान और विषमुक्त कृषि की ओर बढ़ता सीतापुर
IFFCO, कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से किया गया जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

The chalta/सीतापुर, 11 सितम्बर: रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से हो रहे दुष्प्रभावों से बचाव और संतुलित उर्वरक प्रबंधन को बढ़ावा देने की दिशा में सीतापुर अनुविभाग के चलता KVK में नैनो उर्वरकों को लेकर एक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम IFFCO, कृषि विभाग सीतापुर अनुविभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में IFFCO के उप महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ श्री सुधीर सक्सेना, SDO कृषि श्रीमती अनिता एक्का, तथा KVK के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राजेश चौकसे, डॉ. प्रदीप लकड़ा, डॉ. सूरज पंकज एवं डॉ. शमशेर आलम सहित सीतापुर अनुविभाग के तीनों SADO, ADO, समस्त RAEO एवं उर्वरक निरीक्षक श्री संतोष कुमार बेक उपस्थित रहे।
किसानों को दी गई नैनो उर्वरकों की जानकारी
कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने किसानों को नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और नैनो जिंक जैसे नैनो उर्वरकों की वैज्ञानिक विशेषताओं, उनके प्रयोग की विधियों और उनके फायदों की जानकारी दी। इन उर्वरकों को बीज उपचार, जड़ उपचार और पत्तियों पर छिड़काव के माध्यम से उपयोग करने की सलाह दी गई।
विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि यह स्वदेशी (Made in India) तकनीक FCO के अंतर्गत शामिल है और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने के कारण इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई वैज्ञानिक परीक्षणों से गुजरी है। भारत सरकार द्वारा इन उत्पादों को अनेक मानकों पर परखने के बाद ही किसानों के लिए लॉन्च किया गया है।
कम लागत, अधिक मुनाफा
नैनो उर्वरकों के प्रयोग से किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन का लाभ मिल सकता है। उदाहरण स्वरूप, 500 मिली नैनो DAP के साथ 25 किलोग्राम दानेदार DAP के संयुक्त उपयोग से मात्र ₹1275 की लागत में एक एकड़ की खेती संभव हो जाती है।
साथ ही, नैनो उर्वरकों की खरीदी पर किसानों को ₹10,000 का दुर्घटना बीमा भी प्रदान किया जाता है, जिससे यह तकनीक और भी अधिक लाभकारी बन जाती है।
यूरिया पर भारी सब्सिडी का बोझ
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि रासायनिक यूरिया पर सरकार को भारी अनुदान देना पड़ता है। एक बोरी यानी 45 किलोग्राम यूरिया की वास्तविक लागत ₹2,175.50 है, जबकि सरकार के ₹1,908.95 के अनुदान के कारण किसानों को यह मात्र ₹266.50 में उपलब्ध कराया जाता है। यह सरकार की कृषि क्षेत्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जबरदस्ती नहीं, जानकारी जरूरी
कार्यक्रम में यह विशेष रूप से जोर दिया गया कि सहकारी समितियों या निजी विक्रेताओं द्वारा नैनो उर्वरकों को अन्य कृषि सामग्रियों के साथ जबरन न लादा जाए, बल्कि इनकी सही जानकारी देकर किसानों को प्रोत्साहित किया जाए ताकि वे स्वेच्छा से इस वैज्ञानिक तकनीक का लाभ उठा सकें।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम
नैनो उर्वरकों के उपयोग से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत और विषमुक्त कृषि की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों ने किसानों से अपील की कि वे इस नवाचार को अपनाएं और रासायनिक उर्वरकों की अत्यधिक निर्भरता से मुक्ति पाएं।