देश का पहला ग्रामीण गार्बेज कैफे मैनपाट में जल्द होगा शुरू, प्लास्टिक के बदले मिलेगा खाना-नाश्ता
शहरी मॉडल के बाद अब ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वच्छता का नवाचार, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत सरगुजा के रोपाखर में खुल रहा कैफे

The chalta/11 सितंबर/छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट के रोपाखर गांव में देश का पहला ग्रामीण गार्बेज कैफे खुलने जा रहा है। इससे पहले अंबिकापुर नगर निगम ने 2019 में देश का पहला शहरी गार्बेज कैफे शुरू किया था, जिसने प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन में मिसाल कायम की थी। अब यही मॉडल ग्रामीण क्षेत्र में भी अपनाया जा रहा है।
गार्बेज कैफे में 1 किलो प्लास्टिक के बदले नाश्ता और 2 किलो के बदले भोजन मिलेगा। प्लास्टिक वेस्ट सीधे कैफे में कलेक्ट किया जाएगा और रीयूज करने वाले वेंडर को बेचा जाएगा। हालांकि शहर की तरह यहां रेस्टोरेंट संचालक को कोई अतिरिक्त सब्सिडी नहीं दी जाएगी, बल्कि वेंडर से मिलने वाले भुगतान से ही खर्च चलाना होगा।
इस पहल के संचालनकर्ता सिकंदर प्रजापति ने बताया कि यह एक सराहनीय कदम है और वे इसे जनहित में सफलतापूर्वक संचालित करेंगे।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत इस नवाचार से न सिर्फ स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि ग्रामीणों को प्लास्टिक कचरे से आमदनी और भोजन दोनों मिलेगा।
अंबिकापुर मॉडल की सफलता का प्रमाण यह है कि वहां प्लास्टिक वेस्ट की मात्रा 2020 में 292 टन से घटकर 2024 में 226 टन रह गई है — यह बदलाव जागरूकता और भागीदारी की मिसाल है।अब ग्रामीण भारत भी इस सकारात्मक बदलाव की ओर कदम बढ़ा चुका है।