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क्या कलेक्टर विधायक की बात नहीं मानते? चार महीने बाद भी काम शुरू नहीं

क्या कलेक्टर विधायक की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे? या फिर यह प्रशासनिक लापरवाही और डीएमएफ फंड की राजनीति है?

The chalta/सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र का सरकारी अस्पताल इन दिनों बदहाल हालात से गुजर रहा है। मामूली बारिश होते ही अस्पताल भवन में जलभराव की स्थिति बन जाती है, जिससे मरीजों और परिजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में पानी भरने से जहां स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होती हैं, वहीं संक्रमण और गंदगी के चलते गंभीर स्वास्थ्य खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं।

इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय विधायक रामकुमार टोप्पो ने चार माह पूर्व एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान अस्पताल में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया था कि यह कार्य डीएमएफ (जिला खनिज निधि) के माध्यम से 26 लाख रुपये की लागत से किया जाएगा। घोषणा का मुख्य उद्देश्य जलभराव की समस्या को स्थायी रूप से हल करना और वर्षा जल का समुचित प्रबंधन करना था।

लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी काम शुरू नहीं, कलेक्टर की चुप्पी पर उठे सवाल

हैरानी की बात यह है कि विधायक द्वारा की गई इस घोषणा के चार महीने बाद भी कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। न तो किसी प्रकार का स्थल निरीक्षण किया गया और न ही टेंडर या प्रक्रिया की कोई जानकारी सार्वजनिक की गई है।

इस संबंध में सरगुजा कलेक्टर को लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे क्षेत्रवासियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

क्या कलेक्टर विधायक की बात नहीं मानते?

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर एक निर्वाचित विधायक द्वारा की गई सार्वजनिक घोषणा पर भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों की अवहेलना है।

क्या कलेक्टर विधायक की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे?
या फिर यह प्रशासनिक लापरवाही और डीएमएफ फंड की राजनीति है?

जनता सवाल कर रही है कि जब धनराशि स्वीकृत हो चुकी है और समस्या वर्षों से चली आ रही है, तो अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इस चुप्पी और सुस्ती के पीछे किसका हाथ है?

डीएमएफ फंड का हो रहा दुरुपयोग?

डीएमएफ का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाएं और जनकल्याण को बढ़ावा देना है। लेकिन मैनपाट जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में भी अगर डीएमएफ का पैसा सिर्फ कागज़ों में अटका है, तो यह फंड के दुरुपयोग और कुप्रबंधन का साफ संकेत है।

जनता की मांग: अब नहीं चाहिए सिर्फ घोषणा, चाहिए कार्रवाई

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि जल्द से जल्द वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कार्य शुरू कराया जाए, ताकि आगामी बारिश के मौसम में अस्पताल में जलभराव से राहत मिल सके। साथ ही, वे चाहते हैं कि कलेक्टर और प्रशासन इस तरह की घोषणाओं पर समयबद्ध निगरानी और क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।

यदि कलेक्टर स्तर पर लापरवाही जारी रही, तो स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

सरगुजा में डीएमएफ फंड का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है — यह सच्चाई अब दब नहीं सकती।

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