रायगढ़ : 40वां चक्रधर समारोह शुरू, कला-संस्कृति के महाकुंभ में गूंजेगी देश-विदेश की सुर-लहरियां

The chalta रायगढ़, 27 अगस्त 2025।
रायगढ़ की धरती एक बार फिर भारतीय शास्त्रीय कला और संस्कृति के सबसे बड़े उत्सव चक्रधर समारोह की गवाह बनी। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने आज विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना कर ऐतिहासिक 40वें चक्रधर समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया और कहा कि उनका योगदान संगीत और साहित्य जगत में सदैव स्मरणीय रहेगा।
राज्यपाल ने समारोह के उद्घाटन अवसर पर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की मंगलकामना करते हुए कहा कि चक्रधर समारोह केवल रायगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुका है।
चक्रधर समारोह का इतिहास
संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह (1905–1947) रायगढ़ रियासत के अंतिम शासक थे। वे शास्त्रीय संगीत और कथक नृत्य के सिद्धहस्त कलाकार थे। उनकी स्मृति को जीवित रखने और रायगढ़ घराने की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 1985 से चक्रधर समारोह की शुरुआत हुई। तब से हर वर्ष गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक यह आयोजन निरंतर जारी है।
इस वर्ष का आयोजन : 27 अगस्त से 5 सितंबर तक
रामलीला मैदान में आयोजित 10 दिवसीय महोत्सव में प्रतिदिन शाम 7 बजे से देश-विदेश के नामचीन कलाकार शास्त्रीय नृत्य, संगीत, लोककला और वादन की प्रस्तुतियाँ देंगे।
- उद्घाटन दिवस (27 अगस्त): पं. राजेन्द्र गंगानी का कथक और कवि कुमार विश्वास का काव्य पाठ।
- 28 अगस्त से 4 सितंबर: प्रतिदिन कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम जैसे नृत्य; तबला, सितार, संतूर और बांसुरी वादन; कव्वाली, लोकगीत और पंथी नृत्य जैसी विविध प्रस्तुतियाँ होंगी।
- 31 अगस्त: विशेष कवि सम्मेलन – जिसमें चिराग जैन और हास्य कवि बंशीधर मिश्रा शिरकत करेंगे।
- 1 से 3 सितंबर: मोतीमहल परिसर में पारंपरिक कुश्ती और कबड्डी प्रतियोगिताएँ होंगी।
- समापन (5 सितंबर): पद्मश्री नलिनी-कमलिनी अस्थाना का कथक और पद्मश्री कैलाश खेर का गायन समारोह की शोभा बढ़ाएगा।
समारोह का महत्व
राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि यह समारोह रायगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी की पहचान को और मजबूत करता है। यह न केवल भारतीय शास्त्रीय कला की अमूल्य धरोहर को संरक्षित करता है बल्कि नई पीढ़ी को परंपरा से जोड़ने का माध्यम भी है।
समारोह के दौरान शहर के जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी, कलाकार और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे। पहले ही दिन कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।