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सीतापुर:नेत्रहीन नाबालिक लड़की के साथ रेप:दो ममेरे भाई 7-8 माह से करते रहे रेप, गर्भवती होने पर मामले का हुआ खुलासा…..

मामले का खुलासा होने पर माता-पिता ने थाना सीतापुर में दर्ज कराई शिकायत, दोनों आरोपी कुछ माह से गांव से फरार हैं..

The chalta/सीतापुर थाना/सीतापुर से आई यह घटना मानवता को झकझोर देने वाली है। एक नेत्रहीन नाबालिक बच्ची, जो बचपन से ही अपनी कमजोरियों के कारण दूसरों पर निर्भर है, अपने ही परिवारजनों की हवस का शिकार बनती रही। दो ममेरे भाइयों द्वारा लगातार सात-आठ माह तक उसका शोषण किया जाना और गर्भवती हो जाने के बाद ही सच सामने आना, न केवल घिनौना अपराध है बल्कि सामाजिक संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी है।

सूत्रों से मीली जानकारी अनुसार मामा के घर रहने वाली नेत्रहीन नाबालिक लड़की को उसके दो ममेरे भाइयों ने अपनी हवस का शिकार बना डाला यह घटना 7-8 महीने पहले की है जब नाबालिक लड़की घर में अकेली थी। उसे घर में अकेली पाकर पहले उसके सगे मामा के नाबालिक बेटे ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया उसके बाद उसके चचेरे मामा के बालिक लड़के ने उसके साथ अनाचार किया विगत 7-8 माह से दोनों भाइयों के हवास की शिकार बनी नाबालिक लड़की गर्भवती हो गई।

मामले का खुलासा

जिसकी वजह से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और उसके पेट में दर्द होने लगा इस बात की खबर लड़की के माता-पिता को लगी तो आकर उसने अपने साथ घर ले गए जहां उन्होंने लड़की की बीमारी को टोना-टोटका मानते हुए झाड़ू के जरिए इसका इलाज करना चाहा। इलाज करने के कुछ दिन बाद लड़की को फिर उसके मामा के घर छोड़ गए यहां आने के बाद नाबालिक फिर से अपने ममेरे भाइयों के हवस का शिकार बनने लगी इस बीच उसकी तबीयत फिर बिगड़ी और पेट में दर्द होने के साथ उभार दिखने लगा तब घर वालों को समझ में आया की नाबालिक लड़की गर्भवती हो गई है घर वालों की पूछताछ के दौरान नेत्रहीन लड़की ने बताया मेरे भाइयों द्वारा अनाचार किया है।

फिलहाल दोनों आरोपी विगत कुछ माह से गांव से फरार बताए जा रहे हैं। मामले की जांच सीतापुर पुलिस कर रही है इस संबंध में थाना प्रभारी गौरव कुमार पांडे ने बताया कि मामले में पोक्सो एक्ट की धारा एवं बीएनएस की धारा  के तहत अपराध दर्ज कर लिया है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।

आज जब हम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं पर गर्व करते हैं, तब यह सवाल उठना लाजिमी है कि हमारी बेटियां कब तक इस तरह की दरिंदगी का शिकार बनती रहेंगी? कानून कठोर हैं, पॉक्सो एक्ट (POCSO) जैसे प्रावधान बच्चों को सुरक्षा देने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन तब तक उनका महत्व अधूरा है जब तक समाज अपनी मानसिकता नहीं बदलेगा।

अब आवश्यक है कि—

1. अपराधियों को कठोर से कठोर सज़ा मिले ताकि यह केस उदाहरण बन सके।

2. परिवारों को जागरूक किया जाए कि बच्चों की तकलीफों को अंधविश्वास नहीं बल्कि चिकित्सा और कानून की नज़र से देखें।

3. समाज में संवेदनशीलता बढ़े ताकि बेटियां रिश्तों के भीतर भी सुरक्षित रह सकें।

4. प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि पीड़िता को मनोवैज्ञानिक और चिकित्सकीय सहयोग तुरंत मिले।

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