छत्तीसगढ़सीतापुर

दलालों के भरोसे राजस्व विभाग: जीवित को मृत घोषित कर कुटरचित दस्तावेज तैयार कर छल–कपट पूर्वक किसान के 2.047 हे. जमीन करा ली अपने नाम…

देवानंद एक्का,एगनेश एक्का,हबिल एक्का एवं मेनो बेवा के नाम तहसीलदार एवं पटवारी ने मिलकर कर दिया : दुहन राम

The chalta/सीतापुर तहसील में राजस्व अधिकारी-कर्मचारी शायद अब दलालों के भरोसे जीवन यापन करने लगे हैं, सरकार के द्वारा दिया जा रहा तन्खवाह कम पड़ रहा, तभी तो दुसरे का जमीन 7 एकड़ को अपना कहकर दलाल बेंच देते हैं। अधिकारियों को मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलती है तब जाकर कार्यवाही होती है। ऐसा ही मामला रजौटी से निकल कर बाहर आ रहा है जीवित किसान मंगता को मृत बताकर पुत्र और बेवा पत्नी बनकर जमीन अपने नाम करा लिया जा रहा है। ज़मीन मालिक किसान 70 वर्षीय मंगता जीवित है लेकिन जमीन को दलालों एवं राजस्व विभाग के जिम्मेदारों ने ग़लत तरीके से लूट लिया है। निष्पक्ष जांच की जरूरत ताकि मंगता घर से बेघर न हो।

मीली जानकारी अनुसार रजौटी निवासी किसान मंगता अपने बेटे के साथ किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने सेंटर जाता है,तब मंगता के नाम का जमीन गायब मिलता है। मंगता का किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बनता तब जाकर किसान अपने जमीन की तलाश में निकलता है। तलाश के दौरान पता चलता है कि सभी जमीन का कुटरचित दस्तावेज तैयार कर  देवानंद एक्का,एगनेश एक्का,हबिल एक्का एवं मेनो बेवा के नाम पर नायब तहसीलदार ने कर दिया है।

मंगता आत्मज माना के नाम पर जमीन 2.047 हे. है , जिसे दलालों एवं राजस्व विभाग के जिम्मेदारों ने मिलकर  देवानंद एक्का,एगनेश एक्का,हबिल एक्का एवं मेनो बेवा के नाम कर दिया है। कुटरचित दस्तावेज तैयार कर छल-कपट कर मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कर जमीन रजिस्ट्री का फर्जीवाड़ा सामने आया है।

तत्कालीन नायब तहसीलदार रामसेवक पैंकरा पटवारी एवं हल्का पटवारी ईश्वर बखला दोनों मिलकर कुटरचित दस्तावेज तैयार कर छल-कपट पूर्वक देवानंद एक्का,एगनेश एक्का,हबिल एक्का एवं मेनो बेवा के नाम मेरे पिता मंगता के नाम का जमीन को कर दिये हैं,अज्ञात पुत्र और अज्ञात पत्नी बना दिये हैं,मगता का पुत्र दुहन राम ने आगे कहा गलती करे प्रशासन भुक्तभोगी हो जनता, ऐ कैसा न्याय है।

जीवित किसान मंगता को मृत घोषित किसने किया? गवाह कौन-कौन हैं? किस आधार पर नायब तहसीलदार पेटला वृत ने जमीन का नामांतरण किया है? किसान के मन में ऐसे कई तरह के सवाल उत्पन्न हैं फ़िलहाल यह जांच का विषय है। जीवित मंगता अपने जमीन के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाना शुरू कर दिया है देखना हैं सरकारी आला अफ़सर कब तक न्याय देते हैं।

 

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